नई दिल्ली: देश के पूर्व अटॉर्नी जनरल, जाने-माने न्यायविद और पद्म विभूषण सोली सोराबजी का कोरोना से संक्रमित होने के बाद शुक्रवार सुबह (30 अप्रैल) को निधन हो गया। वह 91 साल के थे।
सोली सोराबजी दो बार देश के अटॉर्नी जनरल रहे। पहली बार 1989 से 90 और फिर 1998 से 2004 तक अटॉर्नी जनरल का पदभार संभाला। उनका जन्म 1930 में बॉम्बे में हुआ था।
उन्होंने 1953 से बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। इसके बाद 1971 में बॉम्बे हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट के तौर पर डेजिगनेटेड हुए और तकरीबन 7 दशक तक कानूनी पेशे से जुड़े रहे।
सोली सोराबजी को पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। उनकी पहचान देश के बड़े मानवाधिकार वकील के तौर पर होती है।
सोराबजी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बड़े पक्षधर थे।
उन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता का सुप्रीम कोर्ट में कई बार बचाव किया और प्रकाशनों पर सेंसरशिप आदेशों व प्रतिबंधों को रद्द करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनकी सामाजिक प्रतिबद्धताओं के कारण ही यूनाइटेड नेशन ने 1997 में उन्हें नाइजरिया में विशेष दूत बनाकर भेजा था, ताकि वहां के मानवाधिकार के हालत के बारे में पता चल सके।
इसके बाद, वह 1998 से 2004 तक मानव अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण पर यूएन-सब कमिशन के सदस्य और बाद में अध्यक्ष बने। इन्हे मार्च 2002 में पद्म विभूषण पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।