नई दिल्ली: भारत में बनी 3,60,000 कोरोना वैक्सीन की डोज यमन पहुंचने के बाद से हालात बदलेंगे और कोविड-19 के खिलाफ जंग में यह गेमचेंजर है। संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य अधिकारियों की ओर से यह बात कही गई है।
बुधवार को ही भारत में बनी दवाओं की पहली खेप यमन पहुंची है। भारत की ओर से कोरोना वैक्सीन की कुल 1.9 मिलियन डोज यमन को देने का वादा किया गया है।
यमन को यूनिसेफ, वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन और कई देशों के गठबंधन से तैयार कोवैक्स फैसिलिटी के तहत वैक्सीन की पहली खेप मिली है। इस साल यमन को कुल 1.9 मिलियन वैक्सीन डोज मिलनी है।
भारत के सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की ओर से तैयार एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की खेप यमन पहुंची है।
इसे पहले हेल्थ वर्कर्स और अन्य ऐसे लोगों को दिया जाएगा, जिनके बीमारी चपेट में आने की आशंकाएं अधिक हैं।
भारत की ओर से भेजी गई 3.6 लाख वैक्सीन की डोज के साथ 13,000 सेफ्टी बॉक्सेज और 13,00,000 सीरिंज भी शामिल हैं। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने यमन में दवा पहुंचने के बारे में ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने लिखा, ‘एडन पहुंचे। भारत में बनी वैक्सीन्स की यमन में लैंडिंग।’
इसके साथ ही एस. जयशंकर ने हैशटैग वैक्सीन मैत्री लिखा। यमन पहुंची भारतीय वैक्सीन को यूनिसेफ के प्रतिनिधि फिलिप डुआमेले और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डॉ. आदम इस्माइल ने रिसीव किया।
उनके साथ यमन के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कासिम बुहैबे भी शामिल थे। इस दौरान डुआमेले ने कहा कि यमन में वैक्सीन पहुंचना एक अहम मौका है। उन्होंने कहा, ‘कोविड-19 पूरी दुनिया में जानें ले रहा है।
लेकिन अब यमन के पास क्षमता है कि वह उन लोगों की रक्षा कर सकेगा, जिन्हें सबसे ज्यादा रिस्क है। खासतौर पर हेल्थ वर्कर्स को वैक्सीन दी जाएगी ताकि वे बिना रुके बच्चों और परिवारों की सुरक्षा के लिए काम कर सकें।’
इस्माइल ने कहा कि कोरोना वैक्सीन का शिपमेंट बेहद अहम है और कोरोना के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ा कदम है।