रांची : झारखंड हाई कोर्ट में रांची नगर निगम (RMC) में फोर्थ ग्रेड में नियुक्त कर्मियों के थर्ड ग्रेड में प्रमोशन से संबंधित अवमानना याचिका की सुनवाई शनिवार को हुई। कोर्ट ने पूर्व के आदेश का अनुपालन नहीं करने पर नाराजगी जताई।
साथ ही नगर आयुक्त को अगली सुनवाई छह अक्टूबर को कोर्ट में सशरीर हाजिर होने का निर्देश दिया। कोर्ट ने मौखिक कहा कि रांची नगर निगम ने इस मामले ना तो पक्ष रखा है और ना ही आदेश का अनुपालन किया गया।
रांची नगर निगम की ओर से शपथ पत्र दाखिल कर कोर्ट को बताया गया कि याचिकाकर्ता को फोर्थ ग्रेड से थर्ड ग्रेड में प्रोन्नति देने के संबंध में रांची नगर निगम का कोई प्रोविजन नहीं है। इसलिए उनका आवेदन खारिज किया जाता है। हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति डॉ एसएन पाठक की कोर्ट ने मामले की सुनवाई की।
पिछली सुनवाई में कोर्ट में नगर विकास विभाग के शपथ पत्र की आलोक में निगम आयुक्त, रांची नगर निगम को निर्देश दिया कि वह तीन सप्ताह में रांची नगर नगर निगम के फोर्थ ग्रेड कर्मियों के थर्ड ग्रेड में प्रमोशन पर निर्णय लें। सरकार की ओर से पिछली सुनवाई में कोर्ट को बताया गया था कि नगर विकास विभाग ने 29 जुलाई, 2022 को एक निर्णय लिया था।
इस निर्णय में नगर विकास विभाग ने कहा था कि चुकी रांची नगर निगम के फोर्थ ग्रेड के कर्मियों के प्रमोशन के संबंध में रांची नगर निगम ने 10 दिसंबर, 2007 में ही स्थापना समिति की बैठक में निर्णय ले लिया था।
इसके बाद झारखंड म्युनिसिपल सर्विस कैडर रूल 2014 (Jharkhand Municipal Service Cadre Rule 2014) आई है। यह प्रमोशन का मामला उक्त नियमावली आने के पहले का है। इसलिए फोर्थ ग्रेड कर्मियों के थर्ड ग्रेड में प्रोन्नति के संबंध में निर्णय लेने के लिए रांची नगर निगम स्वयं जिम्मेदार है एवं सक्षम प्राधिकार है।
नगर विकास विभाग के निर्णय के आलोक में फोर्थ ग्रेड कर्मियों के प्रमोशन के संदर्भ में रांची नगर निगम खुद ही फैसला ले सकती है। मामले में रांची नगर निगम कर्मचारी संघ की ओर से हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की गई है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता प्रेम पुजारी ने पैरवी की।
याचिकाकर्ता रांची नगर निगम कर्मचारी संघ के फोर्थ ग्रेड कर्मियों की ओर से वर्ष 2013 में हाई कोर्ट में रिट दाखिल की गई थी, जिस पर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने वर्ष 2021 में मामले को निष्पादित करते हुए आदेश दिया था कि रांची नगर निगम की बोर्ड ने जब निर्णय लिया है कि ये कर्मी उच्च पद पर काम कर रहे हैं और वे थर्ड ग्रेड के पद के लिए एलिजिबल हैं तब बोर्ड इस निर्णय को लागू करे लेकिन निगम ने कोर्ट के इस आदेश का पालन नहीं किया। इसके बाद प्रार्थी ने हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की।