नई दिल्ली: विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) सितंबर के आखिरी हफ्ते तक स्वदेशी कोवैक्सिन को मंजूरी दे सकता है। मौजूदा समय में भारत में कोविशील्ड, स्पूतनिक का आपात इस्तेमाल हो रहा है, जिसे डब्ल्यूएचओ की मंजूरी मिल चुकी है।
लेकिन परीक्षण नतीजों से जुड़े डेटा के देर से प्रकाशित होने की वजह से अब तक कोवैक्सिन को संगठन से मंजूरी नहीं मिल पाई थी।
मंगलवार को नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने मीडिया को बताया विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ कौवैक्सिन के डेटा सांझा किया गया है। उनकी समीक्षा भी चल रही है।
हमें विश्वास है कि महीने के अंत से पहले सकारात्मक निर्णय आ सकता है। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन सभी पहलुओं पर गहन जांच कर रहा है। हमें उन्हें समय देना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में अंतरराष्ट्रीय यात्राओं के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) से मान्यता प्राप्त टीके लगवाने की अनिवार्यता है। भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन को भी इसी मंजूरी का इंतजार है।
डॉ. पॉल ने सोमवार को मीडिया से बातचीत में बताया कि केन्द्र सरकार चाहती है कि देश के सभी व्यस्क को टीका लगा दिया जाए।
बच्चों की वैक्सीन पर अभी विश्व में भी ज्यादा उत्साह नहीं है, वहीं डब्लूएचओ भी बच्चों को वैक्सीन देने की सलाह नहीं दे रहा है।
इस मामले में अभी घबराने की जरूरत नहीं है। जिस तरह से चीजें विकसित हो रही हैं हम कदम उठा रहे हैं।
12 से 18 साल के बच्चों को दी जाने वाली जायडस कैडिला की कोरोना वैक्सीन जायकोव डी की कीमत के प्रश्न पर डॉ. पॉल ने कहा कि अभी इस पर विचार चल रहा है, जल्दी ही इस पर निर्णय लिया जा सकता है।
हम इस वैक्सीन को जल्दी ही देश व्यापी टीकाकरण कार्यक्रम में शामिल करना चाहते हैं। अक्टूबर में यह वैक्सीन उपलब्ध हो सकती है। यह तीन खुराक में दी जाने वाली वैक्सीन है।