COVID New Variant: ओमिक्रॉन (Omicron) के म्यूटेटेड JN.1 सब-वैरिएंट को बढ़ते मामलों का प्रमुख कारण माना जा रहा है। एक महीने के भीतर इस वैरिएंट के कारण चीन, सिंगापुर, भारत सहित कई अन्य देशों में कोरोना के एक्टिव मामलों (Corona Active Cases) में भारी उछाल दर्ज किया जा रहा है।
2019 में चीन से शुरू हुआ कोरोना
अध्ययनों में इस वैरिएंट की संक्रामकता दर अधिक बताई जा रही है, साथ ही Omicron के अन्य वैरिएंट्स की तरह यह भी शरीर में वैक्सीन से बनी प्रतिरक्षा को आसानी से चकमा देने में सफल हो रहा है। संक्रमण के बढ़ते जोखिमों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे ‘वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट’ (Variant of Interest) के रूप में वर्गीकृत किया है।
दिसंबर 2019 में चीन से शुरू हुआ COVID का संक्रमण चार साल बीत जाने के बाद अब भी थमने का नाम नहीं ले रहा है।
वैक्सीनेशन के कारण बनी हर्ड इम्युनिटी (Herd Immunity) के चलते लोगों में गंभीर रोगों का खतरा जरूर कम है, पर वायरस में लगातार म्यूटेशन जारी है। ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि हर बार नवंबर-दिसंबर में कोरोना के मामले क्यों बढ़ने लगते हैं? आइए इसे समझते हैं।
फिर से बढ़ रहा है COVID का खतरा
साल 2023 में कोरोना की रफ्तार काफी नियंत्रित देखी गई। वैश्विक स्तर पर कम होते संक्रमण के मामलों को देखते हुए मई में WHO ने कोरोना को ‘ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी’ (Global Health Emergency) की सूची से बाहर कर दिया था। हालांकि साल खत्म होते-होते वायरस के एक नए प्रकार ने कई देशों में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए चिंता बढ़ा दी।
2020 के दिसंबर तक वायरस में उत्परिवर्तन हुआ
सबसे पहले साल 2019 के आखिर में चीन में सार्स-cov-2 वायरस से संक्रमण के पहला मामला सामने आया। कोरोना बिल्कुल नया था, जिसके कारण फरवरी-मार्च तक वैश्विक स्तर पर संक्रमण के मामले काफी तेजी से बढ़े।
इसके बाद 2020 के दिसंबर तक वायरस में उत्परिवर्तन हुआ, जिसके बाद बीटा, गामा और डेल्टा वैरिएंट के कारण फिर से संक्रमण की रफ्तार में वृद्धि रिपोर्ट की गई। डेल्टा वैरिएंट (Delta Variant) को अब तक का सबसे संक्रामक और घातक माना जा रहा है, जिसके कारण दुनियाभर में मौत के मामले सबसे ज्यादा बढे़।
एक साल बाद, दिसंबर 2021 में कोरोना का Omicron Variant देखा गया, जिसकी प्रकृति ज्यादा गंभीर रोगकारक नहीं थी, लिहाजा प्रतिबंधों में ढील दी जाने लगी। 2022 के दिसंबर में ओमिक्रॉन में भी म्यूटेशन हुआ और BA.2 and BA.5 जैसे सब-वैरिएंट का उदय देखा गया। साल 2023 के दिसंबर में भी यही क्रम जारी है, अब नया सब-वैरिएंट JN.1 सामने आया है।
सर्दियों से कोरोना का कनेक्शन
ऑस्ट्रेलिया स्थित विक्टोरिया यूनिवर्सिटी (Victoria University) में यह समझने के लिए शोध किया गया कि क्या सर्दियों का मौसम कोरोनावायरस के प्रसार के लिए सबसे अनुकूल होता है? अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि वायरस की प्रकृति कम धूप, कम तापमान वातावरण में अधिक समय तक जीवित रहने वाली है। इसलिए पर्यावरण में सक्रिय वायरस सर्दियों के महीनों के दौरान म्यूटेट होकर तेजी से बढ़ने लगते हैं।
इसी तरह साल 2020 में किए गए एक अन्य अध्ययन में कोरोनावायरस और कम आर्द्रता (Coronavirus and Low Humidity) के बीच संबंधों को समझने की कोशिश की गई। इसमें शोधकर्ताओं ने नोट किया कि आर्द्रता में 1% की भी कमी के कारण COVID-19 के मामलों में 6% तक की वृद्धि हो सकती है।