कोलकाता : आगामी पश्चिम बंगाल पंचायत चुनावों (West Bengal Panchayat Elections) को लेकर हुई झड़पों और हिंसा (Violence) से संबंधित मौत का एक और मामला बुधवार को सामने आया, जब गोली लगने से घायल एक युवा मापका कार्यकर्ता की मौत हो गई।
मृतक की पहचान मंसूर आलम (23) के रूप में हुई है, जिसे उत्तरी दिनाजपुर जिले (North Dinajpur District) के चोपड़ा में नामांकन चरण के दौरान हुई हिंसा में गोली लगी थी।
गंभीर रूप से घायल मंसूर को 15 जून को एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मंगलवार देर रात उसकी मौत हो गई।
दक्षिण 24 परगना जिले के भांगर में मारे गए 3 लोग
इसके साथ ही 8 जून को पंचायत चुनाव की तारीखों की घोषणा के बाद से चुनाव संबंधी हिंसा के कारण मरने वालों की कुल संख्या नौ हो गई है।
चुनावी हिंसा में दक्षिण 24 परगना जिले (South 24 Parganas) के भांगर में सबसे ज्यादा 3 लोग मारे गए हैं।
माकपा केंद्रीय समिति के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने अपने कार्यकर्ता की मौत पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इतने लोगों की मौत की सूचना के बाद भी राज्य सरकार या राज्य चुनाव आयोग केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए अनिच्छुक है।
प्रत्येक जिले में तैनात की जाएगी 1 कंपनी
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की एक खंडपीठ ने मंगलवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ के पिछले आदेश को बरकरार रखा था, जिसमें ग्रामीण निकाय चुनावों के लिए पूरे राज्य में केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती का निर्देश दिया गया था।
हालांकि, शीर्ष अदालत के आदेश के बाद राज्य चुनाव आयुक्त ने केंद्रीय सशस्त्र बलों (Central Armed Forces) की महज 22 कंपनियों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से मांग की थी जिसे लेकर विवाद शुरू हो गया।
इसका मतलब है कि प्रत्येक जिले में एक कंपनी तैनात की जाएगी।
विपक्षी पार्टियों ने राज्य चुनाव आयोग के इस कदम को आंखों में धूल झोंकने वाला और अदालत के आदेश का अपमान बताया है।