मुम्बई: रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के कारण सोमवार को एक तरफ अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें आसमान छूने लगीं तो दूसरी तरफ शेयर बाजार औंधे मुंह गिर पड़ा।
वैश्विक पटल पर मची उथलपुथल से दुनियाभर के शेयर बाजारों में कोहराम मचा हुआ है। प्रमुख एशियाई बाजारों की राह पर चलता हुआ घरेलू शेयर बाजार भी लगातार चौथे दिन बिकवाली की गिरफ्त में रहा।
विदेशी बाजारों में ब्रेंट क्रूड के 14 साल के उच्चतम स्तर यानी 130 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचने से विदेशी संस्थागत निवेशकों का मनोबल टूट गया और वे शेयर बाजार से धड़ाधड़ अपने पैसे निकालने लगे।
इस अफरातफरी भरे माहौल के बीच बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 2.7 प्रतिशत यानी 1,491 अंक लुढ़ककर 52,843 अंक पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 2.4 प्रतिशत यानी 382 अंक टूटकर 15,863 अंक पर बंद हुआ।
निफ्टी 50 में इंडसइंड बैंक को सबसे अधिक नुकसान उठाना पड़ा। बैंक के शेयरों के दाम आठ फीसदी लुढ़क गये। इसके अलावा मारुति सुजुकी, एक्सिस बैंक, ब्रिटानिया और बजाज फिनसर्व के शेयरों में भी भारी गिरावट रही।
ओएनजीसी, हिंडाल्को, कोल इंडिया, भारती एयरटेल और यूपीएल के शेयरों में निवेशकों ने पैसा लगाया।
सेंसेक्स की 30 कंपनियों में मात्र चार हरे निशान में जगह बनाने में कामयाब हुई और शेष 26 कंपनियां लाल निशान में रहीं। भारती एयरटेल, एचसीएल टेक, टाटा स्टील और इंफोसिस के शेयरों के दाम चढ़े।
सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में सबसे अधिक नुकसान इंडसइंड बैंक ने ही उठाया। इसके बाद एक्सिस बैंक, मारुति सुजुकी, बजाज फाइनेंस और बजाज फिनसर्व के शेयरों के दाम भी लुढ़क गये।
ट्रैडिंगो के संस्थापक पार्थ न्यति ने कहा कि कच्चे तेल की आसमान छूती कीमत के कारण भारतीय मुद्रा में गिरावट आयी है। इसके साथ ही एफआईआई की बिकवाली भी शेयर बाजार पर हावी है। वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान एफआईआई ने जितनी बिकवाली नहीं की, उससे अधिक बिकवाली वे अब कर चुके हैं।
उन्होंने कहा कि भू-राजनीतिक अनिश्चितता अब भी सबसे बड़ा मसला है।