खूंटी: हर मोर्चे पर विफल झारखंड सरकार अपनी नाकामी का जश्न मना रही है। यह बात भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुलनाथ शाहदेव ने कही। वे मंगलवार को खूंटी में मीडिया से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि सरकार गठन के बाद से पैसे की कमी का रोना रो रही झारखंड सरकार ने अपनी नाकामी का जश्न मनाने में आज रांची के मोरहाबादी में लाखों, करोड़ों रुपये फूंक दिए।
कोविड-19 के दौरान अपनी नाकामी को छिपाने का प्रयास कर रही झारखंड सरकार के पास राज्य के विकास के लिए न तो कोई नीति है और न ही उसकी नीयत है।
सच्चाई यह है कि 29 दिसंबर को सरकार गठन होने के तीन माह बाद 31 मार्च को प्रदेश में कोरोना का पहला केस सामने आया था।
इन तीन माह के दौरान सरकार रोड मैप तक तैयार नहीं कर सकी थी।
उन्होंने कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में प्रदेश की महिलाओं की सुरक्षा जहां तार-तार हो गई है।
वहीं किसानों और बेरोजगार युवाओं के साथ भी धोखा किया गया है।
सरकार ने वादा किया था कि 2500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से किसानों से धान की खरीदारी की जाएगीए लेकिन अपने वादे से मुकरते हुए सरकार ने 1868 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी तय की।
इतना ही नहीं इस दर पर भी सरकार धान खरीदने में सफल नहीं हो पा रही है।
राज्य में धान क्रय केंद्र तो बनाए गए। लेकिन उन केंद्रों पर किसानों से धान की खरीदी नहीं हो रही है।
ऐसे में मजबूर किसान अपनी मेहनत से उपजाये धान को बिचौलियाें के पास 1100.1200 रुपये प्रति क्विंटल की दर पर धान बेचने को विवश हैं।
शाहदेव ने कहा कि इसी तरह एक साल में पांच लाख युवाओं को रोजगार देने तथा बेरोजगारी भत्ते के रूप में पांच से सात हजार रुपये प्रति माह देने का वादा किया गया था।
लेकिन बेरोजगारों को न तो नौकरी मिली और न ही बेरोजगारी भत्ते के रूप में एक फूटी कौड़ी भी मिली।
इतना ही नहीं कई विभागों में संविदा पर नियुक्त कर्मियों की सेवा समाप्त कर दी गई, जिससे हजाराें युवा बेरोजगार हो गए।
यही नहीं अपने अधिकार की मांग कर रहे सहायक पुलिस कर्मियोंए जिला पुलिस व पंचायत सचिव अभ्यर्थियों पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज कराकर सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है।
उन्होंने कहा कि एक साल की अल्प अवधि में ही सरकार ने भ्रष्टाचार की प्रमाणिक बानगी प्रस्तुत कर दी है।
मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी पर लगभग तीन सौ करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार के आरोप की जांच एसीबी द्वारा की जा रही है।
इस मामले को ठंडे बस्ते में डालकर लीपापोती की तैयारी सरकारी स्तर पर हो रही हैए ताकि मुख्यमंत्री के दामन को दागदार होने से बचाया जा सके।
इस सरकार के वित्तीय कुप्रबंधन का परिणाम है कि भाजपा सरकार की छोड़ी हुई मजबूत आर्थिक व्यवस्था के रूप में भरा हुआ खजाना भी आज खाली हो गया है।
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में बदहाल व्यवस्थाए मतांतरण को प्रोत्साहन तथा राष्ट्रद्रोहियों को संरक्षण देकर इस सरकार ने प्रदेश की जनता के साथ छल किया है। इतना ही नहीं अल्पसंख्यकों को भी इस सरकार ने ठगा है।
यही कारण है कि एक साल में उनके विकास के लिए कोई भी ठोस कार्य किया गया और न ही अब तक अल्पसंख्यक आयोग, अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड, मदरसा बोर्ड व उर्दू अकादमी का गठन ही हो सका।