नई दिल्ली: केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजना प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना विफल हो सकती है। इसका कारण यह है कि सरकार ने बजट में अगले साल के लिए गैस पर दी जाने वाली सब्सिडी को आधी कर दिया है।
वहीं, बीते 7 सालों में सिलेंडर की कीमतें भी दोगुनी हो गई हैं। इससे देश में एक बार फिर धुएं वाला दौर शुरू होने की आशंका जताई जा रही है।
महिलाओं को खाना बनाते समय पैदा होने वाले धुएं से मुक्ति दिलाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में उज्ज्वला योजना शुरू की थी।
इसके तहत महिलाओं को मुफ्त में कनेक्शन दिया गया था। साथ ही सरकार चूल्हा खरीदने और पहली बार सिलेंडर को भरवाने में आने वाले खर्च को चुकाने के लिए लोन की सुविधा दी जाती है।
इस योजना के अधिकांश लाभार्थी गरीब हैं। ऐसे में सब्सिडी ना मिलने की समस्या और गैस सिलेंडर की कीमत ज्यादा होने के कारण लाभार्थी सिलेंडर रिफिल कराने से परहेज कर रहे हैं
लाभार्थी खाना बनाने के लिए गैस के स्थान पर फिर से पारंपरिक ईंधन जैसे गोबर के उपले और लकड़ी का इस्तेमाल करने लगे हैं।
सब्सिडी के लिए 12,480 करोड़ रुपए का प्रावधान
केंद्र सरकार ने मार्च 2022 को खत्म होने वाले वित्त वर्ष में सब्सिडी के लिए 12,480 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। यह चालू वित्त वर्ष के 25,500 करोड़ रुपए से आधी है।
इस साल 1 जनवरी तक 8 करोड़ से ज्यादा महिला लाभार्थियों को उज्ज्वला योजना का लाभ मिल चुका है। बजट में सरकार ने 1 करोड़ और महिला लाभार्थियों तक इस योजना को पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है।
वनों और पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाली महिलाओं को इसका लाभ दिया जाएगा।