पटना/दरभंगा: बिहार के दरभंगा स्टेशन पर गत 17 जून को पार्सल में हुए ब्लास्ट में एक नया मोड़ आ गया है।
जांच एजेंसी के अनुसार दरभंगा हवाईअड्डा और यहां से उड़ान भरने वाली फ्लाइट आतंकवादियों के निशाने पर थी? बताया गया है कि कपड़ों के बंडल के बीच 100 एमएल की शीशे वाली बोतल में केमिकल वाले बम का होना बड़ी साजिश की तरफ इशारा कर रही है।
यही वजह कि इस मामले की जांच बहुत तेजी के साथ की गई।
इसकी जांच पहले बिहार, तेलंगाना और फिर उत्तर प्रदेश की रेल और आंतक निरोधी दस्ता (एटीएस) टीम ने की। अब राष्ट्रीय जांच दल (एनआईए) इस मामले को देख रही है।
जैसे-जैसे इसकी जांच आगे बढ़ी, वैसे-वैसे इसका कनेक्शन हैदराबाद सीरियल ब्लास्ट के आरोपित और आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन के आका यासीन भटकल से जुड़ गया।
वर्तमान में यासीन भटकल दो साथी आतंकवादियों असदुल्लाह उर्फ हड्डी और हैदर के साथ हैदराबाद की जेल में कैद है। असदुल्लाह उर्फ हड्डी को बम बनाने में माहिर माना जाता है।
जांच एजेंसी दरभंगा एयरपोर्ट और वहां से उड़ान भरने वाली फ्लाइट को टारगेट किए जाने के एंगल पर भी जांच शुरू कर दी है। क्योंकि, दरभंगा स्टेशन पर उस पार्सल को मो. सुफियान नाम का शख्स रिसीव करने वाला था।
आशंका है कि उस लिक्विड एक्स्प्लोसिव को रिसीव करने के बाद कहीं स्टोर किया जाता लेकिन उसके पहले ही वह ब्लास्ट कर गया।
अब जांच एजेंसी यह भी जानकारी इकट्ठा कर रही है कि क्या देश के अंदर या दूसरे देशों में लिक्विड एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल हुआ है या नहीं?
सीएए के मुद्दे पर गत वर्ष दरभंगा में भी प्रदर्शन हुआ था। एनआईए ने दरभंगा में हुए उस प्रदर्शन का फुटेज दरभंगा पुलिस से मांगा है। बताया गया है कि एनआईए अब उस फुटेज के जरिए कुछ चेहरों को तलाशेगी।
कुछ संदिग्धों की पहचान करेगी। जब केंद्रीय जांच एजेंसी की टीम स्टेशन पर हुए ब्लास्ट वाली जगह की जांच करने गई थी तो उसके बाद वहां के रेंज आईजी और एसएसपी के साथ मीटिंग की थी।
उसी दौरान उनसे सीएए को लेकर हुए प्रदर्शन के फुटेज मांगे गए। इस मामले में एनआईए ने एफआईआर दर्ज कर ली है, जिसकी कॉपी पटना स्थित एनआईए कोर्ट में जमा भी कर दी गई है।
उल्लेखनीय है कि इस मामले में पहले पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई का नाम सामने आया था लेकिन जब जांच आगे बढ़ी तो एक और पड़ोसी देश का नाम सामने आया।
इसमें नया नाम नेपाल का जुड़ गया है। जानकारी के मुताबिक केमिकल बम बनाने के लिए कुछ लोगों को ट्रेनिंग दी गई है।
इसके लिए मजहब के नाम पर कई युवाओं को स्लीपर सेल के तहत हायर किया गया है।
बदलते वक्त के साथ आतंकी, हमले के ट्रेंड को बदलने में लगे हुए हैं। इनके कदम अब आईडी और टाइमर बम की जगह सेंसर ब्लास्ट की ओर बढ़ रहे हैं, जो आने वाले दिनों में बेहद खतरनाक साबित हो सकता है।