नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि वो बेटी अपने पिता से किसी भी खर्च-वहन का दावा नहीं कर सकती है जो अपने पिता से संबंध बरकरार नहीं रखती है। जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये आदेश दिया।
कोर्ट पति-पत्नी के बीच तलाक के एक मामले की सुनवाई कर रही थी। कोर्ट ने तलाक को मंजूर करते हुए पति को निर्देश दिया कि वो दो महीने के अंदर अपनी पत्नी को दस लाख रुपये अंतिम मुआवजा के तौर पर दे।
इसी मामले की सुनवाई में कोर्ट ने दोनों की बेटी के खर्चे पर भी अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि दोनों की बेटी 20 साल की है और वह अपने पिता से संबंध बरकरार नहीं रखना चाहती है।
कोर्ट ने कहा कि बेटी पिता से संबंध बरकरार रखने का रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन वो अपनी शिक्षा के खर्चे का दावा नहीं कर सकती है।
दोनों पति-पत्नी की शादी 1998 में हुई थी और उनसे 2001 में एक बेटी पैदा हुई थी। पत्नी अपने पति से अलग रह रही है।
पत्नी का आरोप था कि उसके पति ने उससे दहेज की मांग की और उसे 2004 में उसके ससुराल से भगा दिया। बेटी जन्म से ही अपनी मां के साथ रह रही थी।