पाकिस्तान में 23 मार्च को सैन्य दिवस मनाने पर बहस

News Aroma Media
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नई दिल्ली: पाकिस्तान में 23 मार्च को पाकिस्तान दिवस के रूप में मनाया जाता है, लेकिन इस बार देश में इस अवसर को लेकर एक बहस छिड़ गई है।

देश में इस बात को लेकर बहस हो रही है कि आखिर यह दिन किस उद्देश्य के लिए है।

पूर्व पाकिस्तानी सीनेटर फरहतुल्लाह बाबर ने एक ट्वीट में कहा, मूल रूप से 23 मार्च को पाकिस्तान के गणतंत्र होने के उपलक्ष्य में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता था ।

1956 में इसी दिन पहली बार संविधान को अपनाया गया था। हमें लोकतंत्र पर गर्व है।

1958 में सैन्य शासन के दौरान सैन्य ताकत का प्रदर्शन करने के लिए इसे बदलकर पाकिस्तान दिवस कर दिया गया।

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 खोखली आवाज और हिंसा लोकतंत्र का कोई विकल्प नहीं है।

कोविड के समय सैन्य परेड को स्थगित करने की भी मांग की जा रही है।

बाबर को रोजीना खान ने ट्विटर जवाब दिया। उन्होंने लिखा, फरहतुल्लाह वास्तव में 23 मार्च की तारीख का विवाद नहीं है, पाक सेना के खिलाफ एक दुष्प्रचार है।

यह भारतीय हित की ही भाषा है। हर पाकिस्तानी इस दिन दुनिया को पाकिस्तान की ताकत दिखाने में गर्व महसूस करता है।

सिंधी कार्यकर्ताओं ने घोषणा की है कि वे नकली पाकिस्तान इतिहास को उजागर करेंगे और स्वतंत्रता की मांग करेंगे।

जफर साहितो ने ट्वीट किया, पाकिस्तान ने अपने नकली इतिहास के साथ सभी को धोखा दिया है। 23 मार्च को पाकिस्तान दिवस के रूप में मनाया जाता है। हम 23 मार्च को पाकिस्तान के फर्जी इतिहास और हमारे स्वतंत्रता की मांग के लिए सोशल मीडिया अभियान हैशटैग सिंधवांट्सफ्रीडम चलाने वाले हैं।

साहितो का कहना है कि 1940 में फ्री सिंध कार्यक्रम की घोषणा करते समय पाकिस्तान नहीं था।

इसके अलावा 23 मार्च को लाहौर विश्वविद्यालय में 1971 युद्ध पर एक कांफ्रेंस के रद्द किए जाने की भी चर्चा है।

वकास मीर ने ट्वीट कर कहा, 1971 युद्ध पर एलयूएमएस कांन्फ्रेंस को रद्द करना दुर्भाग्यपूर्ण है।

विश्वविद्यालयों को मुद्दों पर बहस करने के लिए स्वतंत्र होना चाहिए।

कोई भी यह सोचता है कि हमें अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों (कश्मीर या मोदी नीतियों) पर सम्मेलनों की आवश्यकता है वह इसे ऑर्गेनाइज करने के लिए स्वतंत्र है।

हसन जाविद ने सुझाव दिया कि 23 मार्च को इस तरह का सम्मेलन आयोजित करना उचित नहीं है।

कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि 23 मार्च – 1956 में अपने पहले संविधान को अपनाने के बाद जिस दिन पाकिस्तान एक गणतंत्र बन गया था – वह 1971 पर कांन्फ्रेंस करने के लिए अनुचित है।

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