Delhi CM Arvind Kejriwal : दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल (CM Arvind Kejriwal) ने रविवार को सराय काले खां फ्लाईओवर एक्सटेंशन (Flyover Extension) का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हमारी सरकार तेजी विकास कार्यों पर जोर दे रही है।
और आज से सराय काले खां फ्लाईओवर एक्सटेंशन (Sarai Kale Khan Flyover Extension) शुरू हो जाने लोगों को जाम से छुटकारा मिलेगा।
केजरीवाल ने अपनी पार्टी की बड़ई गिनाई
CM केजरीवाल ने इस मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सराय काले खान में 620 मीटर का फ्लाई ओवर बना है। इसके लिए 66 करोड़ का बजट आवंटित किया गया था, लेकिन यह काम 50 करोड़ में काम पूरा हुआ।
इसके निर्माण से ITO से आश्रम की तरफ आने वाले लोगों को राहत मिलेगी। पहले आश्रम में घंटों तक जाम लगते थे, लेकिन अब इसके बनाने के बाद चंदगीराम से आगे धौला कुआं सबवे में रास्ता साफ रहेगा।
पहले लगता था जाम, अब मिलेगा छुटकारा
CM ने कहा कि आश्रम पर पहले बहुत जाम लगता था लेकिन अब पांच मिनट भी नहीं रुकना पड़ेगा। चंदगी राम अखाड़े से आश्रम, मूलचंद, धौला कुआं तक कोई रेड लाइट नहीं है। पूरी रिंग रोड अब रेड लाइट फ्री हो गई है। हम जाम वाले हर इलाक़े की स्टडी कर रहे हैं कि कैस जाम मुक्त बनाया जा सकता है।
आज़ादी के बाद के 75 साल में दिल्ली में 102 फ़्लाइओवर और अंडर पास बने हैं, उनमें से 30 हमारी सरकार में बने हैं। लगभग 25 फ़्लाइओवर और तैयार हो रहे हैं।
9 काम काम चल रहा है और 16 अप्रूवल के स्टेज पर हैं। इन सवा सौ फ़्लाइओवर में 50 फ़ीसदी हमारी सरकार के कार्यकाल में बने होंगे
“हम पैसे बचाते हैं “
देशभर में ऐसे कामों में स्टीमेट से ज़्यादा पैसे खर्च होते हैं। दिल्ली में ही रानी झांसी फ़्लाइओवर (Rani Jhansi Flyover) 30-40 करोड़ में बनना शुरू हुआ था लेकिन डेढ़ सौ करोड़ में बनकर पूरा हुआ, लेकिन हमारी सरकार में हम हर काम में पैसे बचाते हैं। हमने जो 30 फ्लाइओवर बनाए हैं, उनमें 557 करोड़ बचाए हैं। यह तो गिनीज़ बुक में आना चाहिए।
कई लोग मुझसे पूछते हैं कि पैसे कहां से आते हैं। पैसे यहीं से आते हैं। पहले जो पैसे उनकी जेबों में जाते थे अब हम बचाकर जनता के लिए काम करते हैं।
देश भर में PWD मतलब बेईमानी लेकिन दिल्ली में PWD मतलब ईमानदारी हमारे काम में जितनी अड़चन लगाई जा रही है इसके बावजूद हम काम कर रहे हैं।
स्पीड स्लो हो सकती है लेकिन काम ज़रूर होगा। कम हमने एक लग्ज़री बसों की पॉलिसी (Luxury Buses Policy) की शुरुआत की है। यह 2016 में लागू होने वाली थी लेकिन अड़चन के कारण देरी हुई।