नई दिल्ली: दिल्ली सरकार अपने स्कूलों में पढ़ने वाले करीब आठ लाख बच्चों को मिड-डे-मील योजना के तहत सूखा राशन देगी। जब तक स्कूल फिर से नहीं खुल जाते हैं, तब तक यह योजना जारी रहेगी।
केजरीवाल ने मंडावली स्थित एसकेवी नंबर-3 स्कूल में बच्चों को सूखे राशन का किट बांट कर इसकी शुरुआत की।
इस दौरान केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में आज भी वही शिक्षक और बच्चे हैं, लेकिन माहौल बदल गया है।
अब हमारे बच्चों के आईआईटी और मेडिकल में एडमिशन हो रहे हैं और दुनिया भर के लोग दिल्ली के स्कूल देखने आते हैं। यह दिल्ली वालों के लिए गर्व की बात है।
कोरोना काल में भी हमारे स्कूलों के 94 प्रतिशत बच्चे अभी भी आॅनलाइन कक्षाएं ले रहे हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा ऑटो-टैक्सी चालकों के लिए किए गए काम की तारीफ गोवा तक हो रही है।
यह भी अपने आप में एक मिसाल है कि कोई मुख्यमंत्री टैक्सी ड्राइवर का एसएमएस पढ़ता है और उसका संज्ञान लेकर 24 घंटे के अंदर रोड टैक्स माफ करने का आदेश देता है।
केजरीवाल ने कहा कि जब मुझे इस कार्यक्रम के लिए बुलाया गया था, तब मैंने कहा था कि मैं स्कूल भी देखूंगा।
इसलिए मैने यहां आकर स्कूल भ्रमण करके देखा। स्कूल बहुत ही शानदार है।
पूरे देश भर में इस तरह के सरकारी स्कूल देखने को नहीं मिलते हैं।
पहले स्कूलों की दशा काफी खराब होती थी। स्कूल टूटे-फूटे होते थे, टूटी फूटी दीवारें होती थीं।
स्कूलों में डेस्क नहीं होते थे, बोर्ड ठीक से नहीं होते थे। स्कूलों में सुविधाएं नहीं होती थी।
स्कूलों का माहौल बड़ा गंदा होता था। इस वजह से न पढ़ने का मन करता था और न पढ़ाने का मन करता था।
अगर पढ़ाई नहीं होती थी, तो हम कहते थे कि अध्यापक पढ़ा नहीं रहे हैं।
अध्यापक तो आज भी वही हैं, लेकिन वही अध्यापक आज बहुत शानदार पढ़ा रहे हैं, क्योंकि माहौल बदल गया है।
केजरीवाल ने कहा कि आज हम लोग यहां पर बच्चों के मिड-डे-मील के ड्राई राशन वितरित करने का कार्यक्रम शुरू करने के लिए इकट्ठे हुए हैं।
पिछले 9 महीने बहुत मुश्किल से गुजरे और अब यह मुश्किल कब खत्म होगी इसकी उम्मीद दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही। दुनिया भर में कह रहे हैं कि वैक्सीन तो आ गई है।
हमारे देश में भी उम्मीद है कि जल्द आ जाएगी। मैं उम्मीद करता हूं कि इस वैक्सीन से समाधान निकल आए, ताकि फिर से जिंदगी पटरी पर आ जाए।
जब तक वैक्सीन नहीं आती और चीजें ठीक नहीं होती हैं, तब तक अपने को हर चीज का कुछ न कुछ समाधान निकालना पड़ेगा। पिछले 9 महीने में सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को हुई है।
बच्चे कमरे में बंद होकर नहीं रह सकते, बच्चों के अंदर उर्जा होती है। बच्चे इधर उधर उछल-कूद करना चाहते हैं।
स्कूल जाना चाहते हैं और खेल कूद करना चाहते हैं, लेकिन सब चीजें बंद करनी पड़ीं।
जिंदगी में कभी नहीं सोचा था कि बच्चे कंप्यूटर और फोन के आगे बैठ कर पढ़ाई किया करेंगे।
पहले अगर बच्चा ज्यादा कंप्यूटर पर बैठता था, तो मां-बाप कहते थे कि कंप्यूटर छोड़ दे, आंखें खराब हो जाएंगी।
अब कहते हैं कि कंप्यूटर के सामने थोड़ी देर पढ़ ले, अब पूरा माहौल ही बदल गया है।
मुझे बेहद खुशी है कि इस दौरान हमारे अध्यापकों ने बहुत शानदार काम किया। जैसा अभी शिक्षा मंत्री जी ने बताया कि हमारे 94 प्रतिशत बच्चों की ऑनलाइन कक्षाएं अभी भी चल रही हैं।