दस्तावेजी संरक्षण के लिए दिल्ली सरकार उपलब्ध कराएगी प्रशिक्षण

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नई दिल्ली: दिल्ली में अभिलेखों के संरक्षण पर आधारित कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र शुरू किया गया है।

दिल्ली सरकार के मुताबिक कुछ सरकारी कार्यालयों में पुराने दस्तावेजों के बंडल बेहद खराब तरीके से रखे मिलते हैं, जबकि कुछ कार्यालयों में काफी अच्छी तरह सहेजकर रखा जाता है।

कुछ रचनात्मक अफसरों की पेशेवर कला के कारण यह संभव होता है। उस कला को प्रोफेशनल तरीके से भावी पीढ़ियों तक पहुंचाने के लिए दिल्ली अभिलेखागार में हर तीन माह पर 60 युवाओं को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।

दिल्ली में गुरुवार को कला कुंज का भी शिलान्यास किया गया। कला कुंज में शानदार ऑडियो विजुअल सुविधाओं सहित 500 दर्शक क्षमता वाला अत्याधुनिक सभागार होगा।

इसमें अभिलेखागार, कला प्रदर्शनी, पुस्तकालय, कैफे जैसी सुविधाएं भी होंगी। यह दिल्ली के नागरिकों के लिए सांस्कृतिक एवं बौद्धिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण केंद्र होगा।

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कुतुब इंस्टीट्यूशनल एरिया में कला कुंज का शिलान्यास किया। दिल्ली अभिलेखागार परिसर में यह सांस्कृतिक केंद्र बनेगा।

सिसोदिया ने कहा, हम एक महत्वपूर्ण इमारत की नींव रख रहे हैं। यह इमारत हमारे आने वाले कल को सुरक्षित रखने के साथ ही हमारे आज को भी गरिमामय करेगी।

सिसोदिया ने कहा कि, अभिलेखों के रूप में हमारी विरासत का संरक्षण करना जरूरी है। यह भावी पीढ़ियों के लिए धरोहर है और सांस्कृतिक गतिविधियां उन्हें अपने देश की संस्कृति से जोड़े रखती हैं।

देश की सांस्कृतिक विरासत को संजोने और निरंतर आगे बढ़ाने की दिशा में दिल्ली अभिलेखागार का उपभवन काफी उपयोगी होगा।

उप मुख्यमंत्री सिसोदिया ने कहा कि, इतिहास या तो विजेता की कलम से लिखा जाता है, या फिर कागज की कोख से।

विजेता की कलम से लिखा गया इतिहास मनमाना होता है, जबकि कागज की कोख से निकला इतिहास सच होता है।

इसलिए यह निर्मामाधीन इमारत कल, आज और कल के लिए महत्वपूर्ण होगी। इसमें उन तमाम दस्तावेजों को सहेजकर रखा जाएगा, जिनके जरिए हजारों साल बाद भी आज का सच्चा इतिहास लिखना संभव हो।

उल्लेखनीय है कि लगभग 50 करोड़ की इस परियोजना का कार्य दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम को सौंपा गया है। इसे दो साल में पूरा करने का लक्ष्य है।

दिल्ली अभिलेखागार विभाग की स्थापना सन 1972 में हुई थी। वर्तमान कार्यालय में यह विभाग सन 1986 से कार्यरत है।

अभिलेखों के निरंतर विस्तार के कारण एक अतिरिक्त उपभवन का प्रस्ताव सन 2013 से विचाराधीन था। वर्ष 2020 में प्रशासनिक अनुमोदन के बाद इसका शिलान्यास किया गया।