नई दिल्ली: निजी अस्पतालों के 80 फीसदी आईसीयू बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखने के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा है कि वो कोरोना के हालात की 20-21 दिसम्बर को समीक्षा करेगी।
दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट को बताया कि अभी पर्यावरण की स्थिति खराब है और शादियों का भी मौसम है, इसलिए कुछ भी भविष्यवाणी करना मुश्किल है।
जस्टिस नवीन चावला की बेंच ने इस मामले पर अगली सुनवाई 23 दिसम्बर को करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा कि उन्होंने 11 दिसम्बर को हलफनामा दाखिल किया है।
हलफनामे में कहा गया है कि 20-21 दिसम्बर को दिल्ली सरकार कोरोना के संक्रमण की समीक्षा करेगी।
संजय जैन ने कहा कि रोजाना कोरोना की संख्या बदल रही है। सप्ताहांत में असली तस्वीर सामने आएगी।
जैन ने इस मामले को 23-23 दिसम्बर को फैसला कर सकते हैं।
दिल्ली सरकार की दलील का अस्पतालों की ओर से पेश वकील मनिंदर सिंह ने दिल्ली सरकार से कहा कि आप कभी भी जहांगीरी फरमान जारी कर देते हैं।
उन्होंने कहा कि कोर्ट इस मामले में दो बार सुनवाई स्थगित की है। दिल्ली सरकार हर बार कोई न कोई बहाना बनाकर सुनवाई टालना चाहती है।
मनिंदर सिंह ने दिल्ली सरकार से पूछा कि आप खुद का इंफ्रास्ट्रक्चर क्यों नहीं मजबूत कर रहे हैं।
आप कोरोना के नाम पर हर चीज का राष्ट्रीयकरण करना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि इस पर जल्द फैसला हो।
क्या ये दलील सही है कि मरीज निजी अस्पताल को प्राथमिकता देते हैं इसलिए वे राष्ट्रीयकरण जारी रखेंगे।
मरीज सरकारी अस्पताल को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं। गैर-कोरोना मरीजों के लिए कोई बेड नहीं मिल रहा है।
हाई कोर्ट ने 9 दिसम्बर को कहा था कि अगर निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित 50 फीसदी से ज्यादा आईसीयू बेड खाली पड़े हैं तो कोरोना मरीजों के लिए 80 फीसदी आईसीयू बेड आरक्षित रखे जाने से जुड़े फैसले पर तुरंत और दोबारा विचार करने की जरूरत है।
पिछले 26 नवंबर को कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली में कोरोना की स्थिति को देखते हुए डिवीजन बेंच हमारे आदेश पर रोक लगा चुकी है। हम स्थिति में सुधार के बाद ही कोई सुनवाई कर सकते हैं।
पिछले 12 नवम्बर को कोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिल्ली के 33 निजी अस्पतालों में 80 फीसदी आईसीयू बेड कोरोना के मरीजों के लिए आरक्षित रखे जाने के आदेश पर लगी रोक हटा दी थी।
सिंगल बेंच ने 22 सितम्बर को दिल्ली सरकार के आदेश पर रोक लगाते हुए दिल्ली सरकार के आदेश को संविधान की धारा 21 खिलाफ बताया।
सिंगल बेंच ने कहा था कि बीमारी खुद कभी आरक्षण का आधार नहीं बन सकती है।
सिंगल बेंच के इस फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में याचिका दायर की है।
सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को फैसला करने को कहा। हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सिंगल बेंच के फैसले पर रोक लगा दिया था।