नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़ित एक महिला के 20 हफ्ते के भ्रूण को हटाने की अनुमति दे दी है। एम्स के मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद जस्टिस मुक्ता गुप्ता ने ये आदेश दिया।
एम्स के मेडिकल बोर्ड ने हाई कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में बताया कि पीड़िता का भ्रूण 24 सितंबर तक बीस हफ्ते से ज्यादा का है।
एम्स ने कहा कि पीड़िता को दूसरी कोई बीमारी नहीं है। मेडिकल बोर्ड ने कहा कि महिला का भ्रूण हटाया जा सकता है।
सुनवाई के दौरान पीड़ित महिला ने भ्रूण हटाने की सहमति दी। कोर्ट ने भ्रूण का डीएनए टेस्ट के लिए संरक्षित रखने का आदेश दिया।
कोर्ट ने एम्स को आज ही पीड़िता का भ्रूण हटाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने 23 सितंबर को एम्स अस्पताल को मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश दिया था।
कोर्ट ने एम्स अस्पताल को निर्देश दिया था कि वो पीड़िता की जांच कर रिपोर्ट दाखिल करें।
महिला की ओर से वकील अनवेश मधुकर और प्राची निर्वाण ने कोर्ट से कहा था कि महिला के साथ रेप की शिकायत 23 जून को गोविंदपुरी थाने में की गई थी।
जब महिला को पता चला कि वह गर्भवती है तो उसने भ्रूण को हटाना चाहा। इसके लिए उसने एम्स अस्पताल का दरवाजा खटखटाया था लेकिन एम्स अस्पताल ने भ्रूण को हटाने से इनकार कर दिया।
कोर्ट ने कहा था कि महिला का भ्रूण 20 हफ्ते का है, इसलिए इस पर तत्काल कार्रवाई की जरूरत है ताकि पीड़िता भ्रूण हटाने के अपने अधिकार का इस्तेमाल कर सके।
उसके बाद कोर्ट ने एम्स अस्पताल को निर्देश दिया कि 24 सितंबर तक जांच करें कि क्या भ्रूण को हटाने से महिला को कोई नुकसान तो नहीं होगा।