PIL of Delhi High Court: दिल्ली उच्च न्यायालय (Delhi High Court) गुरुवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को पद से हटाने की मांग वाली जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करेगा।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी।
दिल्ली निवासी याचिकाकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता सुरजीत सिंह यादव ने दलील दी है कि शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी उन्हें सार्वजनिक पद संभालने के लिए अयोग्य बनाती है।
यादव ने तर्क दिया है कि वित्तीय घोटाले में फंसे एक मुख्यमंत्री – जो 28 मार्च तक ED की हिरासत में हैं, उन्हें पद पर बने रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि उनका कारावास में होना न केवल कानून की उचित प्रक्रिया में बाधा डालता है, बल्कि राज्य की संवैधानिक मशीनरी को भी कमजोर करता है।
याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 163 और 164 का हवाला देते हुए दावा किया है कि एक कैदी Kejrival को मुख्यमंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को पूरा करने में अक्षम बनाती है।
याचिका में जेल में बंद मुख्यमंत्री द्वारा जेल से सरकारी कामकाज संचालित करने की व्यावहारिकता के बारे में भी कहा गया है।
इसमें सुझाव दिया गया है कि Kejrival तक पहुंचने वाली सभी सामग्रियों पर जेल अधिकारियों द्वारा लगाई गई जांच मुख्यमंत्री के रूप में उन्हें दी गई गोपनीयता की शपथ का उल्लंघन करेगी।
इसके अलावा, यादव ने तर्क दिया है कि Kejrival को अपना पद बरकरार रखने की इजाजत देने से उन्हें उन जांचों को प्रभावित करने की इजाजत मिल जाएगी, जिसमें उन्हें फंसाया गया है और यह आपराधिक न्यायशास्त्र के सिद्धांतों का खंडन करता है।
याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया है कि वह क्वो वारंटो की रिट जारी करे, जिससे केजरीवाल को Chief Minister पद पर बने रहने के अपने अधिकार को सही ठहराने के लिए मजबूर किया जा सके और आखिरकार उन्हें पद से हटाया जा सके।