नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने गणतंत्र दिवस पर दिनभर दिल्ली में हुई हिंसा और उपद्रव के बाद बयान जारी कर कहा है कि वह पूरे स्थिति पर पैनी नजर बनाए हुए है और मामले भी दर्ज कर रही है।
दिल्ली पुलिस की ओर से रात में जारी बयान में कहा गया है कि पुलिस और किसानों के बीच संघर्ष देर शाम तक जारी रहा।
ज्यादातर घटनाएं मुकरबा चौक, गाजीपुर, ए-पॉइंट आईटीओ, सीमापुरी, नांगलोई टी-पॉइंट, टिकरी बॉर्डर और लाल किले से हुई थीं।
उपद्रवी भीड़ द्वारा की गई बर्बरता के इस कृत्य में अब तक 86 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं और कई सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है।
दिल्ली पुलिस के एडिशनल प्रवक्ता अनिल मित्तल की ओर से जारी बयान में कहा गया कि दिल्ली पुलिस हालात पर पैनी नजर रखे हुए है।
यह विभिन्न स्थानों से रिपोर्ट की गई कई घटनाओं के बारे में कानून के मुताबिक निर्देशों के उल्लंघन, दंगे, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान और पुलिसकर्मियों पर घातक हथियारों से हमला करने से जुड़े मामले भी दर्ज कर रही है।
बयान में आगे कहा गया कि सयुंक्त किसान मोर्चा सहित विभिन्न किसान संगठनों ने गणतंत्र दिवस पर किसान ट्रैक्टर रैली का प्रस्ताव रखा था।
सयुंक्त किसान मोर्चा ने अपनी प्रस्तावित ट्रैक्टर रैली के सिलसिले में दिल्ली पुलिस के साथ कई दौर की बैठकें भी की थीं।
उन्होंने 04 मार्गों पर प्रस्तावित योजनाओं के अनुसार एक शांतिपूर्ण रैली निकालने के लिए दिल्ली पुलिस के साथ सहमति जाहिर की थी।
सुबह 08.30 बजे लगभग 6 से 7 हजार ट्रैक्टर सिंघू बॉर्डर पर इकट्ठे हुए ।
इन्हें संजय गांधी ट्रांसपोर्ट नगर तक पहुँचना था और दाहिने मुड़ना था।
दिल्ली पुलिस द्वारा अनुनय करने के बावजूद तय मार्ग की बजाय उन्होंने मध्य दिल्ली जाने पर जोर दिया।
निहंगों के नेतृत्व में किसानों ने अपने घोड़ों पर पूरी तरह से तलवार, कृपान और फुर्सत जैसे घातक हथियारों से लैस होकर पुलिस पर हमला किया।
मुकरबा चौक और ट्रांसपोर्ट नगर के बीच बैरिकेड की कई परतों को तोड़ दिया।
गाजीपुर और टिकरी बॉर्डर से भी ऐसी ही घटनाएं सामने आईं।
गाजीपुर सीमा पर किसानों ने कई स्थानों पर बैरिकेड्स तोड़ दिए और आईटीओ की ओर बढ़ गए, जहां वे सिंघू बॉर्डर से आए किसानों में शामिल हो गए।
टिकरी बॉर्डर पर भी, किसान निर्धारित योजना के लिए सहमत नहीं हुए और दिल्ली पुलिस के साथ भीड़ गए।
उन्होंने न केवल बैरिकेड तोड़े बल्कि पुलिस के वाहनों और पुलिस कर्मियों पर घातक हथियार से हमला किया।
नजफगढ़ की ओर मुड़ने के बजाय, वे पीरागढ़ी की ओर और आगे दिल्ली के मध्य भाग की ओर चले गए।
गाजीपुर और सिंघू बॉर्डर से आये किसानों के एक बड़े समूह ने आईटीओ में नई दिल्ली की ओर बढ़ने प्रयास किया।
जब उन्हें पुलिसकर्मियों द्वारा रोका गया, तो इन किसानों का एक समूह हिंसक हो गया और बैरिकेड्स को तोड़ दिये।
लोहे की ग्रिल और डिवाइडर को क्षतिग्रस्त कर दिया।
हालांकि, गणतंत्र दिवस परेड के समापन पर अधिक पुलिस बल के आगमन के साथ पुलिस उन्हें नई दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने में सफल रही।
इस बीच, कुछ किसानों ने भी बर्बरता की और पुलिसकर्मियों पर हमला किया।
अंत में उन्होंने अपनी योजना बदल दी और लाल किला की ओर बढ़ गए।
लाल किले में उन्होंने फाटकों को तोड़ दिया और लाल किले के प्रांगण में प्रवेश कर गए।
भीड़ का एक समूह लाल किले की प्राचीर पर चढ़ने में कामयाब रहा, जहां उन्होंने अपने संगठन का झंडा फहराया।
बड़े प्रयासों से दिल्ली पुलिस ने भीड़ को रामपार्ट और आसपास से हटाने में कामयाबी हासिल की।