नई दिल्ली: जमात-ए-इस्लामी हिन्द के अमीर सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने मौलाना कलीम सिद्दीकी पर लगे धर्मांतरण के आरोपों को बिना शर्त वापस लिए जाने और उन्हें तुरंत रिहा किये जाने की मांग की है।
अमीर-ए-जमात का कहना है कि मौलाना कलीम सिद्दीकी न केवल मुसलमानों के बीच बल्कि गैर-मुस्लिम समाज में भी एक सम्मानित व्यक्ति हैं। उनकी गिरफ्तारी से आबादी के एक बड़े हिस्से में बेचैनी फैल गई है।
उनकी गिरफ्तारी ने एक बार फिर यूपी सरकार पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इसे यूपी में आगामी चुनावों के संदर्भ में हिंदू-मुस्लिम नफरत को बढ़ावा देने का एक निंदनीय प्रयास भी माना जा रहा है।
हम हकूमत और पुलिस को यह याद दिलाना चाहते हैं कि हमारे देश में धर्म और आस्था पर अमल करना और उसका प्रचार करना हर नागरिक का बुनियादी हक है। उसी तरह हमारे संविधान ने प्रत्येक नागरिक को अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता दी है।
इस तरह की स्वतंत्रता को कम करने या प्रतिबंधित करने का कोई भी प्रयास एक अमानवीय और असंवैधानिक प्रयास होगा और इन नापाक प्रयासों का विरोध करना देश के सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि इस्लाम का कोई भी जानकार ऐसा नहीं कर सकता। राजनीतिक विरोधियों के साथ इस तरह के कार्यों के लिए पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों का दुरुपयोग देश के भविष्य के लिए बेहद खतरनाक है।
ऐसा लगता है कि यूपी सरकार के पास अपना प्रदर्शन पेश करने के लिए सकारात्मक रिकॉर्ड नहीं है। इसलिए वह लगातार सांप्रदायिक विभाजन और तनाव पैदा करने वाले क़दम उठा रही है।
समाज में नफरत फैलाकर राजनीतिक सत्ता हासिल करने या उसे बनाए रखने के प्रयास पूरे राज्य ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए हानिकारक हैं।