नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में दायर एक जनहित याचिका में सार्वजनिक रूप से फिल्म ‘आदिपुरुष’ (Adipurush) का प्रमाण पत्र रद्द करने की मांग की गई है।
ओम राउत द्वारा निर्देशित फिल्म ‘आदिपुरुष’ को लेकर एडवोकेट ममता रानी (Advocate Mamta Rani) ने सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका में कहा है कि जिन भगवानों की हम पूजा करते है, उनके बारे में फिल्म में सही नहीं बताया गया है।
याचिकाकर्ता ने फिल्म के डायलॉग (Dialogue) पर भी आपत्ति जताई हैं।
याचिका में कहा गया कि भगवान हनुमान, जिनका नाम बजरंग बली है, ने अपने प्रतिद्वंद्वी इंद्रजीत के जवाब में अपमानजनक संवाद का इस्तेमाल कर रहे हैं।
ऐसे बयानों का इस्तेमाल सभ्य समाज में कभी नहीं किया जाता है, बल्कि भारत में केवल गली बॉय (Gully Boy) द्वारा ही बोला जाता हैं।
अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किसी के लिए नहीं हो सकता प्रेरणा
याचिका में कहा गया है कि अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करना कभी भी किसी के लिए प्रेरणा नहीं हो सकता, और भगवान हनुमान जैसे महान व्यक्तित्व और देवता को इस तरह से दिखाना ईशनिंदा है, और इसे रोका जाना चाहिए।
याचिका में धार्मिक पांडुलिपियों (Religious Manuscripts) और ग्रंथों को उनके मूल रूप में सुरक्षित रखने की भी मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि आदिपुरुष में रावण, राम, सीता और हनुमान का चित्रण महर्षि वाल्मिकी की रामायण और तुलसीदास रामचरितमानस के विपरीत है।
सिनेमैटोग्राफ अधिनियम 1952 (Cinematograph Act 1952) की धारा 5A के अनुसार यह फीचर फिल्म सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए उपयुक्त नहीं है।