नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट चुनाव में झूठे वादे करके वोट लेने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता रद्द करने की मांग पर गुरुवार यानी 3 मार्च को सुनवाई कर सकता है।
चीफ जस्टिस एनवी रमना ने याचिकाकर्ता से कहा कि यह हर राज्य में हो रहा है। आपको इसे कानून की अदालत में साबित करना होगा, हम इस वजह से चुनाव में नहीं रह सकते हैं।
याचिका हिंदू सेना के उपाध्यक्ष सुरजीत सिंह यादव ने दायर की है। याचिका में राजनीतिक दलों की ओर से मतदाताओं को प्रलोभन देने को भ्रष्ट तरीका बताया है।
याचिका में मतदाताओं को मुफ्त की चीजें देने की घोषणा को भ्रष्ट तरीका बताया गया है। ऐसा करना जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123(1)(ए) का उल्लंघन है।
याचिका में मांग की गई है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के उम्मीदवारों को अयोग्य करार दिया जाए।
याचिका में पंजाब में आम आदमी पार्टी (आप) उम्मीदवारों को भी अयोग्य करार देने की मांग की गई है।
इसके पहले भी सुप्रीम कोर्ट में ऐसी ही एक याचिका दाखिल की गई है। 25 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा नेता और वकील अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को नोटिस जारी किया था।
याचिका में चुनाव के दौरान मतदाताओं को लुभाने के लिए मुफ्त में उपहार देने वाली घोषणाएं करने वाले राजनीतिक दलों की मान्यता खत्म करने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि आजकल एक राजनीतिक फैशन बन गया है कि राजनीतिक दल अपने घोषणापत्र में मुफ्त बिजली की घोषणा करते हैं।
ये घोषणाएं तब भी की जाती हैं जब सरकार लोगों को 16 घंटे की बिजली भी देने में सक्षम नहीं होते हैं।
याचिका में कहा गया है कि मुफ्त की घोषणाओं का लोगों के रोजगार, विकास या कृषि में सुधार से कोई लेना-देना नहीं होता है लेकिन मतदाताओं को लुभाने के लिए ऐसी जादुई घोषणाएं की जाती हैं।