देवघर: झारखंड-बिहार के प्रसिद्ध तीर्थस्थली बाबा बैद्यनाथधाम में वसंत पंचमी का विशेष महत्व है।
वसंत पंचमी पर भोलेनाथ को तिलक चढ़ाने के लिए मिथिलांचल के शिवभक्त तिलकहरु, की बाबानगरी में भीड़ उमड़ पड़ी है।
बसंत पंचमी के दिन भोलेनाथ पर जलाभिषेक के लिए सोमवार देर रात से ही श्रद्धालुओं की कतार लगनी शुरू हो गयी थी।
इनमें बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों की भी है।
बाबा पर अबीर चढ़ाने के साथ शुरू होती है मिथिला की होली वसंत पंचमी पर मंगलवार को सुबह में सबसे पहले सरकारी पूजा में मंदिर के पुजारी सरदार पंडा गुलाबनंद ओझा बाबा बैद्यनाथ पर गुलाल चढ़ाकर बाबा का तिलकोत्सव किया।
इसके बाद तिलकहरू बाबा पर जलार्पण करने के बाद अबीर चढ़ाना शुरू किया। तिलक संपन्न होते ही शहर में जगह-जगह रुके तिलकहरु होली खेलना शुरू किया।
परंपरा के अनुसार बाबा का तिलक होने के साथ ही मिथिलांचल में होली की शुरुआत हो जाती है।
बसंत पंचमी को लेकर मंगलवार को उपायुक्त मंजुनाथ भजंत्री ने मंदिर प्रांगण, क्यू कॉम्प्लेक्स, नेहरू पार्क और उसके आस-पास के क्षेत्रों का अवलोकन कर विधि-व्यवस्था व देवतुल्य श्रद्धालुओं की सुविधाओं का जायजा लिया।
इस दौरान उपायुक्त ने श्रद्धालुओं से बातचीत कर उनकी हाल-चाल व जिला प्रशासन द्वारा मुहैया करायी जा रही सुविधाओं की जानकारी ली ।
इसके अलावे निरीक्षण के क्रम में उपायुक्त मंजुनाथ भजंत्री द्वारा मेला क्षेत्र में प्रतिनियुक्त पुलिस के जवानों व दंडाधिकारियों की टीम को निर्देश दिया कि रुट-लाइन बाबा मंदिर व उसके आस-पास के क्षेत्रों में विशेष निगरानी की जाय एवं कतारबद्ध तरीके से श्रद्धालुओं के सुगम जलार्पण में उनका सहयोग किया जाय।
साथ हीं उपायुक्त ने कहा कि बसंत पंचमी के दिन सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विशेष कर हो रही सभी गतिविधियों पर पैनी नजर रखने की आवश्यकता है।
ऐसे में आवश्यक है कि अपने प्रतिनियुक्त स्थल पर विधि-व्यवस्था और भीड़ व्यवस्थापन हेतु सेवा भाव के साथ मुस्तैदी से अपने कर्तव्य स्थल पर डटे रहें, ताकि यहाँ आगन्तुक श्रद्धालुओं को सुलभ जलार्पण, सुरक्षा व बेहतर व्यवस्था के साथ हर संभव सुविधा मुहैया करायी जा सके।
इसके अलावे निरीक्षण के क्रम में मीडिया प्रतिनिधियों से बातचीत करते हुए कहा कि बसंत पंचमी के अवसर पर बाबा मंदिर में सुबह से हीं जलार्पण को लेकर श्रद्धालुओं का आगमन हो रहा है।
इसके साथ हीं बाबा बैद्यनाथ के तिलकोत्सव में शामिल होने मिथिलांचन से तिलकहरूओं का आगमन लगातार बाबा नगरी में देखने को मिल रहा है।
बाबा के जलार्पण के बाद पश्चात बाबा का तिलकोत्सव भी किया जायेगा। खुद को देवी पार्वती के मायका पक्ष का लोग मानने वाले मिथिलांचल के श्रद्धालु इसे वार्षिक उत्सव के रूप में मनाते हैं।
यही वजह है कि देवघर में मिथिलांचल के लोग चार-पाँच दिन पूर्व से हीं बाबा नगरी में जुटने लगते है।
देवघर के प्राचीनतम पंजीकृत मेलों में एक बसंत पंचमी मेले में मिथिलांचल के काँवरिये सभी उत्तरवाहिनी सुल्तानगंज गंगाघाट से जल भर पैदल कांवर लेकर बाबा दरबार पहुंचते हैं।
मिथिलांचल के कांवरियों की अपनी अलग पहचान उनके कांवर से ही हो जाती है। तिलकहरू के नाम से जाने वाले मिथिला के कांवरिया बांस का कांवर लेकर कमाची से बने बंद डाले में सुरक्षित गंगाजल लेकर बैद्यनाथधाम पहुंचे हैं।
सामूहिक पूजा, भोजन, आवासन और अंतिम दिन बसंत पंचमी पर तिलक चढ़ाने के बाद उत्सव भी मनाते हैं।
वहीं जिला प्रशासन द्वारा बसंत पंचमीं के अवसर पर श्रद्धालुओं की होने वाली अप्रत्याशित भीड़ को लेकर पहले से हीं श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा के लिए पूरी तैयारी दुरूस्त कर ली गई थी।
बैरिकेडिंग के अलावे दंडाधिकारी व जगह-जगह पर पुलिस के जवानों की भी प्रतिनियुक्ति की गयी थी। इसके अलावे पुरानी परंपरा के अनुरूप बाबा मंदिर परिसर स्थित लक्ष्मी नारायण मंदिर के प्रांगण में मुख्य पूजा तिलकोत्सव संध्या में शुरू होगी।
साथ हीं बाबा के निमित्त आम्र मंजर, पंचमेवा, अबीर व फल चढ़ाये जायेंगे। इसके साथ हीं बाबा व सभी बाईसों मंदिरों में विशेष भोग मलपुआ अर्पित किया जायेगा।