देवघर: बैद्यनाथ धाम पंडा धर्मरक्षिणी सभा के पूर्व महामंत्री दुलर्भ मिश्र कहते हैं कि बाबा को तिलक चढ़ाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।
तिलकोत्सव में मिथिलावासी भोलेनाथ को इतना घी चढ़ाते हैं कि बैद्यनाथ धाम मंदिर परिसर के सभी 22 मंदिरों के दीये सालो भर इसी घी से जलाए जाते हैं।
अपनी परंपरा के मुताबिक भोलेनाथ को मिथिलावासी बसंत पंचमी के दिन तिलक चढ़ाकर फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को बरात लेकर आने का न्योता देते हैं।
यही परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चल रही है। मिथिलवासियोंके बसंत पंचमी में देवघर आने की परंपरा प्राचीन है। यह परंपरा बनी रहे और इसे बनाए रखने की जरूरत है।
प्रशासन मुस्तैद
सरकार और जिला प्रशासन इनका पूरा ख्याल रखता है। पूजा-अर्चना से लेकर इनके आवासन वाले स्थान पर पेयजल, अलाव और रोशनी का पूरा इंतजाम किया जाता है।
सुरक्षा को लेकर दिन रात पुलिस गश्त करती है।आयोजन को शांति पूर्ण तरीके से संपन्न कराने के लिए देवघर जिला प्रशासन की ओर से पर्याप्त इंतजार किया गया है।
चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। उपायुक्त खुद इसकी निगरानी कर रहे हैं। पिछले कई दिनों से मौसम का मिजाज बिगड़ा हुआ है।
इसके बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह और संख्या में कहीं कोई कमी नहीं दिखी। मिथिला से आए लोगों का कहना है कि इंद्रदेव कार्यक्रम में बाधा पैदा नहीं कर सकते।
यह सनातन काल से चली आ रही परंपरा है और अनंत काल तक चलती रहेगी।