गिरिडीह: गिरिडीह-पारसनाथ तक रेललाइन का शिलान्यास माेदी की पिछली सरकार में ही हाे चुका है। अब माेदी टू की सरकार में कोडरमा सांसद अन्नपूर्णा देवी अाैर गिरिडीह सांसद चंद्रप्रकाश चौधरी ने संयुक्त रूप से पहल की है।
यह पहल यदि रंग लाई तो जैनियाें के प्रसिद्ध तीर्थस्थल मधुबन तक लोग ट्रेन से पहुंच सकेंगे।
इससे विकास और रोजगार के द्वार साथ-साथ खुलेंगे।
तीर्थ यात्रियों के साथ-साथ बड़ी संख्या में पर्यटक भी यहां पहुंचने लगेंगे। पर्यटक अपने साथ रोजगार भी लेकर आएंगे।
नक्सलवाद समस्या का भी होगा समाधान
उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र पीरटांड़ और डुमरी क्षेत्र से होकर रेल लाइन गुजरेगी तो नक्सल समस्या भी घटेगी। पारसनाथ-मधुबन-गिरिडीह रेललाइन परियोजना की घोषणा भारत सरकार ने बजट में की है।
पारसनाथ इसरी बाजर से मधुबन होते हुए गिरिडीह तक 35 किमी. रेल लाइन बिछानी है।
पहले दौरा का सर्वे भी हो चुका है। कोडरमा सांसद और गिरिडीह के सांसद ने इस योजना को लेकर लोकसभा में मामला उठाया भी था।
रेल मंत्री, रेल राज्य मंत्री और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन से भी सांसदों ने बात की है।
विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल है मधुबन
गौरतलब है कि मधुबन जैन धर्मावलंबियों का विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल है। दुनियाभर से जैन तीर्थयात्री यहां पहुंचते हैं।
पारसनाथ पहाड़ की चोटी से लेकर तराई मधुबन में भव्य एवं आकर्षक जैन मंदिर हैं।
तीर्थस्थल से हजारों लोगों को रोजगार मिलता है।
यहां सैकड़ों डोली मजदूरों का भी पेट पलता है। इस क्षेत्र के लिए रेल सुविधा मील का पत्थर साबित हो सकती है।