दुमका: शारदीय नवरात्र के महासप्तमी को (Maha Saptami of Shardiya Navratri) दुर्गा मंदिरों एवं पूजा पंडालों में (Dumka Puja Pandal ) रविवार को धार्मिक अनुष्ठान के (Religious Rituals) साथ कलश स्थापित कर मां दुर्गा की प्रतिमाओं में प्राण प्रतिष्ठा हुई।
इसके बाद शक्ति की अराध्य देवी मां दुर्गा के प्रतिमाओं के पट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए गए।
प्रतिमाओं के पट खुलते ही मां दुर्गा के (Maa Durga) दर्शन के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ (Crowd Gathered) पड़ी।
इससे पहले शहर के विभिन्न पूजा समितियों के सदस्यों एवं श्रद्धालुओं के द्वारा ढोल-ढाक और शंख ध्वानि के साथ कलश यात्रा निकाली गई। जिसमें शामिल लोग माथे पर कलश और कांधे पर डोली लिए बड़ा बांध तालाब पहुंचे।
जहां पंडितों की देख-रेख में बेलभरनी पूजा कर कलश में जल भरा गया। मां को डोली में बिठाकर पूजा मंडप में लाया गया। इसके बाद धार्मिक अनुष्ठान के साथ कलश स्थापित कर प्रतिमाओं में प्राण प्रतिष्ठा की गई।
मां के कालरात्रि स्वरूप की हुई पूजा
महासप्तमी को (Mahasaptami ) मां के सप्तम स्वरूप कालरात्रि की अराधना की गई। मां का यह स्वरूप तीन नेत्रों वाली तथा शरीर का रंग धने अंधकार की तरह काला है।
मां कालरात्रि (Maa kaalratri) दुष्टों का विनाश करने वाली और ग्रह बाधाओं को दूर करने वाली है। ये सदैव शुभ फलदायिनी हैं। इसी कारण इन्हें शुभंकारी भी कहा जाता है। इनकी पूजा से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है।