Discussions regarding the ministry in Maharashtra: महाराष्ट्र को देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) के रुप में नया मुख्यमंत्री मिल चुका है, लेकिन अब तक मंत्रालयों को लेकर चर्चाएं जारी हैं। सूत्रों के हवाले से खबर है कि भारतीय जनता पार्टी ने शिवसेना को गृह मंत्रालय देने से मना कर दिया है।
गुरुवार को हुए समारोह के दौरान फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ (Oath of Chief Minister) ली। वहीं, एकनाथ शिंदे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी चीफ अजित पवार उपमुख्यमंत्री बने।
रिपोर्ट में भाजपा के सूत्र के हवाले से बताया, भाजपा ने गठबंधन के साथ शिवसेना को दो कूट कह दिया है कि वह उन्हें गृहमंत्रालय नहीं दे सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने शिंदे को राजस्व, शहरी विकास और लोक निर्माण विभागों में से चुनने के विकल्प दिए हैं। साथ ही अजित पवार को वित्त और योजना देने की बात कही है।
फडणवीस ने कहा था कि 16 दिसंबर से नागपुर में शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र से पहले कैबिनेट विस्तार होगा। वहीं, रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने संकेत दिए थे कि कैबिनेट का विस्तार विशेष सत्र के दौरान 7 से 9 दिसंबर के बीच हो सकता है।
बताया जा रहा हैं कि महायुति में शिवसेना की तरफ से गृह मंत्रालय मिलने का दबाव मिल रहा था। इधर, 288 में से 132 सीटें अपने नाम करने वाली भाजपा गृहमंत्रालय भी अपने पास रखने पर जोर दे रही है। फडणवीस ने हाल ही में कहा, केंद्र में भाजपा की अगुवाई वाली सरकार है।
भाजपा के पास 18 से 20 मंत्री हो सकते है
दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्रालय (Union Home Ministry) भाजपा के पास है। इसके बाद उसी पार्टी को गृहमंत्रालय मिलने से आपसी सहयोग आसान हो जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक, भाजपा के सूत्रों ने बताया है कि भाजपा के पास 18 से 20 मंत्री हो सकते है। शिवसेना के पास 12 से 14 मंत्री और NCP को 9 से 11 मंत्री हो सकते है।
संभावनाएं हैं कि महायुति सरकार में 30 से 35 मंत्री बन सकते है। राज्य में CM सहित कुल 43 मंत्री रह सकते हैं। खबर है कि भाजपा ऊर्जा, जल संसाधन, आदिवासी कल्याण, आवास, ग्रामीण विकास, OBC कल्याण और उच्च और तकनीकी शिक्षा भी लेने के मूड में है।
पिछली सरकार में भाजपा के पास राजस्व और लोक निर्माण विभाग थे। अब अगर शिवसेना शहरी विकास संभालती है, तब राजस्व या लोक निर्माण भाजपा को मिलेगा। इधर, शिवसेना को उद्योग, स्कूल शिक्षा, स्वास्थ्य, जल आपूर्ति, अल्पसंख्यक विकास और वक्फ बोर्ड विकास, मराठी भाषा सहित कुछ विभागों में प्राथमिकता मिल सकती है।