हेल्थ: मौसम में बदलाव के दौरान आमतौर पर छोटे बच्चे संक्रमण के कारण खांसी और जुखाम से पीड़ित हो जाते हैं।
वैसे तो यह समस्या आम है पर इसकी अनदेखी करना ठीक नहीं है क्योंकि कई बार यह सांस की बीमारी के रुप में भी बदल जाती है।
बच्चों में होने वाली कफ की यह समस्या रात के समय या बच्चे के रोने पर और भी तेज हो सकती है हालांकि ज्यादातर मामलों में यह समस्या साधारण घरेलू उपायों से ही ठीक हो जाती है।
खांसी की इस तकलीफ के पीछे अधिकांशत: पैराइनफ्लूएंजा जैसे वायरस कारण होते हैं लेकिन कुछ मामले में यह बैक्टीरियल इन्फेक्शन भी हो सकता है।
वायरल इन्फेक्शन आम है और इसके लक्षण 6 माह से 3 साल तक की उम्र तक के बच्चों में ज्यादा गंभीर रूप में देखने को मिलते हैं। लेकिन कई बार बड़े बच्चों को भी ये शिकार बना सकते हैं। यह एक संक्रामक बीमारी है तथा पीड़ित से दूसरों तक फ़ैल सकती है।
अधिकांश मामलों में सामान्य सर्दी-जुकाम जैसे संक्रमण से जब कफ और सूजन बढ़ जाते हैं तो बच्चा एक अजीब सी आवाज में खांसने लगता है।
यह खांसी रात में या बच्चे के रोने और परेशान होने पर और बढ़ सकती है। यही नहीं बच्चे को सांस लेने में भी तकलीफ होती है और इस समय भी एक अजीब सी सीटी जैसी आवाज उसके गले से निकलती है। इससे उनमें बैचेनी बढ़ सकती है और उसकी नींद में भी बाधा आ सकती है।
घरेलू उपचार भी कारगर
इस तकलीफ के ज्यादातर मामलों में सामान्य इलाजों के जरिये आराम पाया जा सकता है। घरेलू उपचार भी इसमें राहत देने का काम कर सकते हैं लेकिन कई बच्चों में यह एक बार होने के बाद बार-बार लौटकर आ जाता है या फिर ध्यान न देने पर गंभीर रूप भी ले सकता है। इसलिए इसका समय पर इलाज जरूरी है।
इसके लक्षण आमतौर पर 5-6 दिन तक रहते हैं। इस दौरान उनका अतिरिक्त ध्यान रखना जरूरी होता है।
यदि बच्चे को साँस लेने में ज्यादा दिक्कत हो, उसकी सांस लेने की गति असामान्य हो या उसकी आंखों, नाक और मुंह के आस-पास या नाखूनों के समीप की त्वचा नीली या ग्रे होने लगे तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करें।
लक्षणों पर काबू में करने के लिए सामान्यतौर पर कुछ उपाय अपनाये जा सकते हैं, जिनमें शामिल हैं-
भापयुक्त हवा या कुछ केसेस में ताजा हवा में पीड़ित को कुछ देर साँस लेने देना जिससे उसकी खांसी में आराम हो।
बुखार, बदन दर्द आदि के लिए दवाएं देना।
बच्चे को आराम करने देना और उसे धूल-धुएं या अन्य कफ पैदा करने वाली स्थितियों से बचाना।