मुंबई: ‘डॉक्टरों के डॉक्टर’ के रूप में विख्यात डॉक्टर ओपी कपूर (Dr. OP Kapoor) (90) का शुक्रवार को मुंबई (Mumbai) में निधन (Die) हो गया ।
उनका अंतिम संस्कार (Last Rites) आज दोपहर में दादर स्थित श्मशान भूमि (Crematorium ) में किया गया। डॉ. ओपी कपूर के परिवार में पत्नी पुतली देवी और दो बेटे शशि कपूर और डॉ. शम्मी कपूर हैं।
भारत के लगभग 100 शहरों में डॉक्टरों के लिए व्याख्यान दे चुके हैं।
डॉ. ओपी कपूर (Dr. OP Kapoor) बॉलीवुड के मशहूर कपूर खानदान के फैमिली डॉक्टर (Family Doctor) भी थे।
डॉ. ओपी कपूर (Dr. OP Kapoor) द्वारा 65 साल तक मेडिकल छात्रों (Medical Students) के लिए नि:शुल्क व्याख्यान देने की उनकी पहल को लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (Limca Book of World Records) में भी दर्ज किया गया। 1974 में ओपी कपूर को रॉयल कॉलेज, एडिनबर्ग में फेलोशिप से सम्मानित किया गया।
1982 में चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्ट काम के लिए डा.ओपी कपूर (Dr. OP Kapoor) को तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा चिकित्सा के क्षेत्र में प्रतिष्ठित पुरस्कार डॉ. बीसी रॉय राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1982 में Association of Gastroenterology and Warner Gastroenterology में डॉ. ओपी कपूर के भाषण ने सबका ध्यान खींचा।
ओपी कपूर भारत के लगभग 100 शहरों में डॉक्टरों के लिए व्याख्यान दे चुके हैं। उन्होंने UK और USA में भी डॉक्टरों को संबोधित किया है।
डॉ. ओपी कपूर (Dr. OP Kapoor) मुंबई में मातोश्री बिड़ला हॉल में डॉक्टरों के लिए मानसून सीरीज (Monsoon Series) लेते थे। यह छह घंटे का मैराथन लेक्चर हुआ करता था।
कठिन विषयों को सरल तरीके से पढ़ाने में थे माहिर
उन्होंने कभी भी छात्रों को किताबों से नहीं पढ़ाया। उनके व्याख्यान प्रफुल्लित करने वाले व्याख्यान हुआ करते थे, इसलिए उनके व्याख्यान के दौरान हॉल भर जाते थे।
उन्होंने हमेशा कहा कि हमारे देश को अधिक सामान्य चिकित्सकों की जरूरत है, हमारा जोर विशेषज्ञ डॉक्टर बनाने पर है। डॉ. कपूर ने भारत के साथ-साथ ब्रिटेन (Britain) और अमेरिका (America) के डॉक्टरों के व्याख्यान में भाग लिया।
डॉ.कपूर ने 12 किताबें लिखी हैं। इसके अलावा, उन्होंने जसलोक अस्पताल और बॉम्बे अस्पताल में भी काम किया है। उन्होंने अपने पूरे जीवन में डॉक्टरों को मुफ्त में पढ़ाया।
उनके व्याख्यान एक मैराथन (Marathon) हुआ करते थे। वे चिकित्सा के क्षेत्र में कठिन विषयों को सरल तरीके से पढ़ाने में माहिर थे।
कुछ समय पहले तक वह मुंबई के सभी मेडिकल कॉलेजों के 1200 MBBS अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए बिरला मातोश्री सभागार में विशेष व्याख्यान आयोजित करते थे।
उन्होंने भारत के हर शहर में व्याख्यान दिए हैं
33 साल से अधिक की सेवा के बाद वे 1986 में ग्रांट मेडिकल कॉलेज अस्पताल से सेवानिवृत्त (Retired) हुए लेकिन उन्होंने कभी भी अध्यापन नहीं छोड़ा।
उन्होंने पूरे भारत में सामान्य चिकित्सकों के लिए कई पाठ्यक्रम संचालित किए, जहां उन्होंने अपने खर्च पर यात्राएं कीं।
उन्होंने कश्मीर (Kashmir) से लेकर केरल (Kerala) और कच्छ से लेकर ओडिशा (Odisha) तक भारत के हर शहर में व्याख्यान दिए हैं। उन्होंने पूरे भारत में 20 हजार से अधिक छात्र डॉक्टरों को प्रशिक्षित किया है।