कोच्चि: केरल हाई कोर्ट (Kerala High Court) ने कहा है कि लड़कों को परिवार और स्कूल में सिखाया जाना चाहिए कि उन्हें किसी लड़की या महिला को उसकी बिना मर्जी के नहीं छूना चाहिए।
कोर्ट ने समाज में यौन उत्पीड़न (Sexual Harrasment) के मामलों में वृद्धि का उल्लेख करते हुए कहा कि अच्छे व्यवहार और शिष्टाचार संबंधी (Manners and Etiquette) पाठ कम से कम प्राथमिक स्तर से पाठ्यक्रम का हिस्सा होना चाहिए।
हाई कोर्ट (High Court) ने कहा कि लड़कों को यह समझना चाहिए कि नहीं का मतलब नहीं होता है।
लड़कों को समझना चाहिए कि ना का मतलब ना होता: न्यायाधीश
हाईकोर्ट ने समाज से आग्रह किया कि वह लड़कों को स्वार्थी और आत्मकेंद्रित (Autism) होने के बजाय उन्हें नि:स्वार्थ और सज्जन बनना सिखाए।
न्यायमूर्ति देवन रामचंद्रन (Justice Devan Ramachandran) ने उत्पीड़न के एक मामले में एक कॉलेज की आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee) के आदेश और कॉलेज के प्राचार्य द्वारा पारित आदेश को चुनौती देने वाली एक अर्जी पर विचार करते हुए कहा कि एक महिला के प्रति सम्मान प्रदर्शित करना पुराने जमाने का रुख नहीं बल्कि हमेशा बरकरार रहने वाला सदाचार है।
न्यायाधीश (Judge) ने 18 जनवरी को सुनाए गए आदेश में कहा लड़कों को पता होना चाहिए कि उन्हें किसी लड़की-महिला को उसकी स्पष्ट सहमति के बिना नहीं छूना चाहिए। उन्हें समझना चाहिए कि ना का मतलब ना होता है।