रांची: झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन बुधवार को सदन में आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 पेश किया गया। राज्य में वित्तीय वर्ष 2019-20 में 13.9 प्रतिशत और 2020-21 में 4.3 प्रतिशत की कमी आयी है।
इसमें 2019-20 में कमी आर्थिक मंदी और 2020-21 में कोविड-19 महामारी के कारण केंद्रीय करों में राज्य के हिस्सेदारी में कमी आने के कारण हुई है। बजट सत्र के तीसरे दिन सरकार द्वारा सदन में पेश झारखंड आर्थिक सर्वेक्षण 2021-22 में यह जानकारी दी गई।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि पिछले वर्षों की तुलना में केंद्रीय करों में राज्य के हिस्से में वित्त वर्ष 2019-20 में लगभग 3314 करोड रुपये और वित्त वर्ष 2020-21 में 880.8 करोड़ कम मिला है।
यदि इन दो वर्षों में 14.4 प्रतिशत की समान वार्षिक दर से बढ़ता तो राज्य को इन दो वर्षों में क्रमशः 27349 और 31287 करोड़ रुपये मिलते। इस प्रकार राज्य को रुपये के संभावित राजस्व में नुकसान हुआ है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष 2021-22 में वास्तविक जीएसडीपी में 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज होने का अनुमान है। राज्य की जीएसडीपी अपने गठन के पहले पांच वर्ष में (1999- 2000 और 2004-2005) के बीच आठ प्रतिशत औसत वार्षिक दर से बढ़ी।
फिर 2004- 2005 और 2011 के बीच 6.6 प्रतिशत की दर से बढ़ी। 2011-12 और 2018-19 के बीच यह दर 6.2 प्रतिशत थी। 2011-12 की कीमतों पर, राज्य का जीएसडीपी वर्ष 2018-19 में 229274 करोड़ रुपये था।
इसी तरह राज्य की अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख क्षेत्रों (प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक) में 2011-12 और 2019-20 के बीच की अवधि में सबसे तेज दर से बढ़ा है।
जबकि प्राथमिक क्षेत्र में 1.9 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर और द्वितीयक क्षेत्र में 6.3 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है। इस अवधि में तृतीय क्षेत्र में 7.7 प्रतिशत की दर से बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।
सर्वेक्षण रिपोर्ट में नीति आयोग की जारी नेशनल मल्टीडायमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स बेसलाइन रिपोर्ट का भी जिक्र किया गया है। इसके मुताबिक राज्य में 46.0 प्रतिशत लोग गरीब है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बहुआयामी गरीबों का प्रतिशत 50.3 और शहरी क्षेत्रों में यह 15.26 प्रतिशत है। ना केवल ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बीच बल्कि विभिन्न जिलों में भी गरीबों की घटनाओं में व्यापक असमानता है।
शिक्षा की बात करें तो पिछले 20 वर्षों में इसमें लगभग 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। झारखंड की साक्षरता दर में पिछले 20 वर्षों में लगभग 36 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।