नई दिल्ली: कोरोना प्रकोप की मार से प्रभावित भारत की अर्थव्यवस्था की तेजी से पटरी पर लौट रही है और अगले साल देश की आर्थिक विकास दर दोहरे अंकों में रहने की उम्मीद जताई जा रही है।
आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 के आकलन के मुताबिक, चालू वित्त वर्ष में भले ही सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.7 फीसदी की गिरावट रहे, मगर अगले वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 11.5 फीसदी रह सकती है।
संसद के दोनों सदनों के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ शुक्रवार को बजट सत्र का आगाज होने के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सदन के पटल पर आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 सदन के पटल पर प्रस्तुत किया।
आर्थिक सर्वेक्षण में चालू वित्त वर्ष 2020-21 में देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.7 फीसदी गिरावट का अनुमान लगाया गया है जबकि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में आर्थिक विकास दर यानी वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 11.5 फीसदी रहने का अनुमान है।
आर्थिक सर्वेक्षण का दस्तावेज तैयार करने वाले मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमणियन ने कहा कि वित्त वर्ष 2019-2020 में सरकार का कर्ज जीडीपी का करीब 73.8 फीसदी माना जा रहा है।
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2020-21 में प्राथमिक घाटा जीडीपी का 6.8 फीसदी माना जा रहा है जबकि अगले वित्त वर्ष 2021-22 में यह जीडीपी का 2.5 फीसदी रह सकता है।
उन्होंने कहा कि प्राथमिक घाटे में गिरावट की प्रवृति से आगे वित्त वर्ष 2023-24 में यह जीडीपी का 1.5 फीसदी रह सकता है और उसके बाद इस स्तर पर बने रहने का अनुमान है।
महंगाई दर पांच फीसदी रहने का अनुमान है जोकि चार फीसदी से छह फीसदी के बीच में है।