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GST धोखाधड़ी मामले में ED की गुजरात में छापेमारी, 200 से अधिक फर्जी…

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GST Fraud cases: GST धोखाधड़ी मामले (GST fraud cases) में Ahmedabad Police की कार्रवाई के बाद अब केन्द्रीय एजेंसी भी जांच से जुड़ चुकी है।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नए तरीके से प्राथमिकी दर्ज करके छापेमारी शुरू की है। ध्रुवी एंटरप्राइजेज और अन्य के खिलाफ दर्ज धन शोधन मामले में ED की अहमदाबाद इकाई ने गुरुवार को गुजरात के सात शहरों अहमदाबाद, भावनगर, जूनागढ़, वेरावल, राजकोट, सूरत और कोडिनार में कुल 23 परिसरों की तलाशी ली है। इस मामले में पहले ही पत्रकार महेश लांगा समेत कई अन्य आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

दरअसल, डायरेक्टर जनरल ऑफ गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस (DGGI) के निदेशक हिमांशु जोशी ने 7 अक्टूबर को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज कराई थी।

इसके अनुसार अहमदाबाद की ध्रुवी इंटरप्राइजेज (Dhruvi Enterprises) नाम की फर्जी कंपनी रजिस्टर्ड कराकर एक गिरोह ने बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट प्राप्त किया। इस गिरोह ने देश भर में 200 से अधिक फर्जी कंपनी रजिस्टर्ड करवाई और करोड़ों रुपये का इनपुट टैक्स क्रेडिट हासिल किया।

इसके लिए इन्होंने हजारों करोड़ रुपये का बोगस बिल भी जनरेट किया। इस शिकायत के बाद अहमदाबाद क्राइम ब्रांच, स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) और आर्थिक अपराध अनुसंधान शाखा (EOW) ने राज्यव्यापी छापेमारी शुरू की। प्राथमिक जानकारी में ही 200 करोड़ रुपये से अधिक के घोटाले का खुलासा हुआ।

करोड़ों रुपये का इनपुट TAX क्रेडिट हासिल किया

गुजरात में हाल जीएसटी बोगस बिलिंग घोटाले (GST Bogus Billing Scam) का आंकड़ा 50 हजार करोड़ रुपये अधिक हो गया है। इन अलग-अलग केसों की जांच की जा रही है।

अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने इससे पहले अहमदाबाद, जूनागढ़, सूरत, खेड़ा और भावनगर में 14 जगहों पर छापेमारी की थी। इसमें 12 फर्जी फर्म के बारे में पता चला था।

इसमें 33 से अधिक संचालकों को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई तो सौराष्ट्र क्षेत्र के BJP विधायक भगवान बारड के पुत्र अजय बारड और पत्रकार महेश लांगा की संलिप्तता सामने आई। प्राथमिक जांच के अनुसार दोनों ने साथ मिलकर देश में 200 से अधिक फर्जी फर्म के जरिए करोड़ों रुपये का इनपुट TAX क्रेडिट हासिल किया था।

सेंट्रल GST ने Crime Branch की शिकायत के आधार पर जांच शुरू की। इसमें पता चला कि इस प्रकार की फर्जी फर्म बनाने के लिए फर्जी पहचान पत्र, दस्तावेज का उपयोग किया गया। इसी मामले में पत्रकार महेश लांगा समेत कई अन्य आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है।

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