कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद को ED का समन

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने धन शोधन के एक मामले की जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद (Lewis Khurshid) को समन भेजा है। सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

Central Desk

ED summons Lewis Khurshid: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने धन शोधन के एक मामले की जांच के सिलसिले में पूछताछ के लिए कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की पत्नी लुईस खुर्शीद (Lewis Khurshid) को समन भेजा है। सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

यह मामला Lewis Khurshid के नेतृत्व वाले एक ट्रस्ट द्वारा कृत्रिम अंगों और उपकरणों के वितरण में सरकारी निधि के कथित दुरुपयोग से जुड़ा है।

सूत्रों ने बताया कि उन्हें धन शोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों के तहत अपना बयान दर्ज कराने के लिए 15 फरवरी को लखनऊ में ED के कार्यालय में पेश होने को कहा गया है।

उत्तर प्रदेश के बरेली में सांसद-विधायक (MP-MLA) अदालत ने दो दिन पहले इस मामले में लुईस खुर्शीद के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था और मामले पर अगली सुनवाई के लिए 16 फरवरी की तारीख तय की थी।

सलमान खुर्शीद संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं।

ED का धन शोधन का यह मामला राज्य सरकार की 2017 की प्राथमिकी से जुड़ा है।

विशेष लोक अभियोजक अचिंत्य द्विवेदी ने कहा था कि वर्ष 2009-10 में बरेली जिले के भोजीपुरा क्षेत्र में पूर्व विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद की पत्‍नी लुईस खुर्शीद के डॉक्टर जाकिर हुसैन मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा दिव्यांगजन के लिए कृत्रिम अंग और उपकरण वितरण का कार्यक्रम कराया गया था।

उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में धांधली के आरोप लगने पर सरकार ने मामले की जांच करायी थी, जिसमें पाया गया था कि कार्यक्रम में फर्जी मुहर और हस्‍ताक्षर का इस्‍तेमाल करके सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है।

उन्‍होंने बताया कि इस मामले में ट्रस्ट की ‘प्रोजेक्ट मैनेजर’ लुईस खुर्शीद, ट्रस्ट के प्रतिनिधि प्रत्युष शुक्ला व सचिव मोहम्मद अतहर फारूकी मुख्य आरोपी हैं।

शुक्ला का कुछ साल पहले निधन हो गया। सूत्रों ने बताया कि ED ने शुक्ला की पत्नी और कुछ अन्य के बयान दर्ज किए हैं और अब लुईस खुर्शीद से जांच में शामिल होने के लिए कहा है।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने दोनों आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र अदालत में दाखिल किया था। अदालत (Court) ने उसके बाद कई बार समन जारी किये, लेकिन आरोपी न तो पेशी पर आए और न ही जमानत हासिल की।