पटना: विवादास्पद शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी को पदभार ग्रहण करने के दो घंटे बाद ही पद से हटा दिया गया। मुख्यमंत्री की सलाह पर राज्यपाल फागू चौहान ने तत्काल प्रभाव से उन्हें मंत्री पद से हटा दिया।
राजभवन से गुरुवार को जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है। चौधरी पर सबौर कृषि विवि का कुलपति रहते हुए नियुक्ति में घोटाले का आरोप है और उनके खिलाफ मुकदमा लंबित है।
पदभार ग्रहण करने के पहले आज सुबह मेवालाल चौधरी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिले थे। बुधवार की शाम भी मुख्यमंत्री ने उन्हें तलब किया था।
इसके पहले जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह से भी उन्होंने मुलाक़ात की थी। सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री ने उन्हें इस्तीफा देने को कहा था। हालांकि वे अंत समय तक इस्तीफा नहीं देने पर अड़े हुए थे।
गुरुवार की दोपहर करीब एक बजे नया सचिवालय स्थित शिक्षा विभाग में पहुंचकर उन्होंने पदभार ग्रहण किया। मीडिया से बातचीत की। अपने ऊपर लगे तमाम आरोपों को गलत करार दिया। इसके करीब एक घंटा बाद खबर आई कि मेवालाल ने इस्तीफा दे दिया है।
लेकिन राजभवन की प्रेस विज्ञप्ति में इस्तीफे का कोई जिक्र नहीं है। आमतौर पर जब कोई मंत्री इस्तीफा देता है तो राजभवन से यह जानकारी दी जाती है कि उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया है।
जबकि आज जारी राजभवन की विज्ञप्ति में कहा गया है – “महामहिम राज्यपाल श्री फागू चौहान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सलाह पर यह निर्णय लिया है कि डॉ मेवालाल चौधरी माननीय मंत्री शिक्षा विभाग तात्कालिक प्रभाव से बिहार राज्य के मंत्री और मंत्री परिषद के सदस्य नहीं रहेंगे।”
दरअसल, मेवालाल के शपथ लेते ही सवाल उठने लगे थे। विपक्ष नवगठित सरकार पर हमलावर हो गया था। मीडिया में भी मेवालाल का मामला छाया हुआ था। चौधरी ने सबौर कृषि विवि के कुलपति रहते शिक्षक नियुक्ति और भवन निर्माण में कई अनियमिततायें की थीं।
तब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी। भाजपा नेता सुशील मोदी ने तब के राज्यपाल सह कुलाधिपति रामनाथ कोविंद को ज्ञापन देकर मेवालाल की कारगुजारियों की जांच की मांग की थी।
श्री कोविंद इस समय राष्ट्रपति हैं।राज्यपाल ने रिटायर्ड जज महफूज आलम से मेवालाल पर लगे आरोपों की जांच कराई। जांच में मेवालाल दोषी ठहराये गए थे। जस्टिस आलम ने 63 पन्ने की रिपोर्ट राजभवन को सौंपी थी। इस रिपोर्ट के आधार पर कुलाधिपति की हैसियत से उन्होंने कुलपति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश 2017 में दिया था।
सबौर थाने में मुकदमा संख्या 35 /17 दर्ज किया गया था। इस मामले में चौधरी का भतीजा गिरफ्तार भी हुआ था। बाद में यह मामला विजिलेंस को दे दिया गया और अभी यह केस लंबित है। उस समय मेवालाल की पत्नी जदयू की विधायक थीं।
ऐसे व्यक्ति को शिक्षा मंत्री बनाये जाने पर नीतीश कुमार पर उंगलियाँ उठने लगी थीं। सरकार को अपना बचाव करना मुश्किल हो रहा था। लालू प्रसाद ने भी जेल से ट्वीट कर मेवालाल को मंत्री बनाये जाने पर व्यंग्य किया था। फिलहाल, भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी को अगले आदेश तक शिक्षा मंत्री बनाया गया है।