रांची: एक दो दिन में ईद होने वाली है, लेकिन इस ईद की खुशियां वैश्विक महामारी कोरोना की भेंट चढ़ गई है। लगातार बढ़ रहा संक्रमण और उससे रोज-रोज हो रही मौत ने ईद की खुशी पर भी अपनी चाप छोड़ रही है।
यही वजह है कि लोग अपने सबसे बड़े पर्व को लेकर बहुत उत्साहित नहीं हैं। तैयारियां बिल्कुल फीकी पड़ी हुई है। सरकार ने आंशिक लाक डाउन लगा रखी है।
आवश्यक सेवाओं की दुकानों को छोड़ कर शेष अन्य का शटर डाउन है। कपड़ा से लेकर जूता-चप्पल और सिंगार-पटार की दुकानों पर ताला लटका हुआ है।
हालात सुधरने के बजाय और बदतर हो रहा है। ऐसे में लोग नया कपड़ा पहनने की सोच को ही त्याग दिया है।
लोगों की जिंदगियां घरों में कैद है। इसमें सबसे अधिक नुकसान कपड़ा, जूता-चप्प्ल, सिंगार और पटार के व्यवसाय को हुआ है।
ईद को लेकर व्यवसायियों ने करोड़ों का सामान महीना-डेढ़ महीना पहले ही स्टॉक कर लिया था। लेकिन इसी बीच कोरोना ने दस्तक दे दिया। बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने आंशिक लॉकडाउन लगा दिया है।
लेकिन उसके बाद भी हालात सामान्य नहीं है। आम तौर पर दस रमजान के बाद लोग तैयारियों में जुट जाते थे। ईद का बाजार गुलजार हो जाता था।
लगातार दूसरे साल कोरोना की भेंट चढ़ी दुकानदारी
ईद बाजार लगातार दूसरी बार कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ा है। पिछले वर्ष भी कोरोना के कारण ईद फीकी हुई थी। प्राय: लोगों ने पुराने कपड़ों पर ईद की नमाज अदा की थी।
ईद मुस्लिम धर्मावलंबियों का सबसे पवित्र और बड़ा पर्व है। ईद के मौके पर प्राय: लोग नया कपड़ा, जूता-चप्पल एवं अन्य सामानों की खरीदारी करते हैं।
लेकिन इन दो वर्षों से न तो कपड़ों की खरीदारी हो रही है और नहीं दूसरे सामानों की।
लोगों का कहना है कि जिस प्रकार से संक्रमण बढ़ रहा है, वैसे में जान बचाना पहली प्राथमिकता है। जान बचेगी, तो दूसरे साल ईद मना लेंगे।