बोकारो: फुसरो पिछरी निवासी बबलू कुमार अग्रवाल ने बोकारो उपायुक्त को पत्र लिखकर अनुमंडलीय अस्पताल फुसरो के डॉ शिल्पी आनंद पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है, जिससे उसकी पत्नी की जान चली गई।
उसने आरोप लगाया है कि 5 अप्रैल को अनुमंडलीय अस्पताल में मेरी पत्नी अंजलि देवी ने रात्रि 12.40 बजे एक बच्ची को जन्म दिया।
जन्म देने के उपरांत उसे दूसरे कमरे में शिफ्ट कर दिया गया। प्रसव होने के बाद मेरी सास गुड़िया देवी से अस्पताल प्रबंधन ने गंदगी साफ करवाया।
रात्रि 1:30 बजे मेरी पत्नी का ब्लडिंग होने लगा। ब्लडिंग के बाद मेरी सास ने नर्स से संपर्क किया।
इसके पश्चात डॉ ने तीन तरह के इंजेक्शन लाने को बोली, पर बडे ही मशक्कत से दो ही इंजेक्शन मिल पाया। इंजेक्शन देने के बाद डॉ शिल्पी आनंद ने चास सदर अस्पताल रेफर कर दिया।
108 पर किया कॉल, ऑक्सीजन के ही भेज दी एंबुलेंस
उसने बताया कि जो एंबुलेंस मुझे दिया गया उसमें ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं थी।
जब सदर अस्पताल पहुंचा तो डॉ ने कहा कि मरीज का सारा खून बह चुका है, इस कारण शरीर पूरा ठंडा हो गया है।
वहां के डॉक्टर ने कहा कि यह खून की व्यवस्था नहीं है इस कारण इसे बीजीएच ले जाए। जिस एंबुलेंस से गया उसका पूरा गंदगी मेरी सास से साफ करवाया गया।
प्रसव के बाद महिला को नहीं मिला सही इलाज
उस अस्पताल से एंबुलेंस मांगा तो मना कर दिया गया। मेरी रिक्वेस्ट के बाद 700 रुपए में एंबुलेंस का व्यवस्था करवा दिया। जब बीजीएच अस्पताल ले गया तो डॉक्टर ने कहा इसकी मृत्यु एक घंटे पहले ही हो चुकी है।
उसने उचित कार्रवाई करते हुए बच्ची और अपने को न्याय दिलाने की मांग की है।
साथ ही कहा कि पत्नी की मृत्यु और नवजात शिशु की देखभाल करने के कारण 14 मई को आवेदन दे रहा हूं।
डॉक्टर ने आरोप को बताया निराधार
इस मामले में डॉ शिल्पी आनंद से बात की गई तो उन्होंने कहा कि सारा आरोप निराधार है। बताया कि उस रात मेरी नाइट शिफ्ट होने थी और मैं अस्पताल नहीं थी।
डिलीवरी होने के बाद उसे दूसरे कमरे में शिफ्ट किया गया था।
दूसरे कमरे में मरीज का ब्लीडिंग प्रारंभ हो गया। मैं तुरंत नर्स से कुछ दवा मांगी, पर सारा दवा नहीं मिल पाई।
स्थिति नाजुक देखते हुए तुरंत उसी समय रेफर लेटर बनाने को बोल दिया।
मैं स्वयं मरीज की मसाज कर रही थी, जिससे ब्लीडिंग रुके। साथ ही कहा कि बार-बार अटेंडेंट को बोल रही थी की मरीज की स्थिति नाजुक है, तुरंत 108 पर कॉल कर एंबुलेंस बुला ले।
अस्पताल कर्मी ने मेरे उसके मोबाइल से 108 कॉल कर एंबुलेंस बुलाया।
उसके पति को कुछ दवा लाने को बोली। वह बगल में ही दवा लाने गया और वहां से भी आने कि उसे देरी हो रही थी।
उस समय तक लगातार मैं पेशेंट का मशाज कर रही थी। एंबुलेंस में मरीज के साथ जाने से भी उसका पति मना कर रहा था।
उसके पति को जबरदस्ती एंबुलेंस से भेजा गया। इन सब में मेरी कहीं कोई गलती नहीं है। अब ये जांच का विषय है कि कौन सही है और कौन गलत है।