पटना: बिहार के नालंदा जिले के कल्याणबिगहा का मुन्ना और अब नीतीश कुमार ने सोमवार को सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है।
कहा जाता है कि इंजीनियरिंग की शिक्षा प्राप्त करने वाले नीतीश कुमार सोशल इंजीनियरिंग को दुरूस्त कर सत्ता तक पहुंचते रहे।
नीतीश को जानने वाले लोगों का कहना है कि उनकी जैसे-जैसे उम्र बढ़ती गई, राजनीति और समाजसेवा में उनका रूझान बढ़ता गया।
राममनोहर लोहिया, कर्पूरी ठाकुर जैसे नेताओं को आदर्श मानने वाले बिहार में 15 वर्ष पूर्व लालू की सरकार को हटाकर सत्ता पर काबिज होना आसान नहीं था, लेकिन नीतीश ने अपनी सधी हुई राजनीति से लालू को सत्ता से हटाया।
न्याय के साथ सुशासन का राज्य स्थापित करने की ओर नीतीश के बढ़ते कदम के कारण उनके चाहने वाले लोगों ने उन्हें सुशासन बाबू का नाम दिया। नीतीश ने भी अपना मूलमंत्र न्याय के साथ विकास को बनाया।
नीतीश सोमवार को बिहार की सातवीं बार कमान संभालेंगे। नीतीश इसके पहले तीन मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 तक, 24 नवंबर 2005 से 24 नवंबर 2010 तक, 26 नवंबर 2010 से 17 मई 2014 तक, 22 फरवरी 2015 से 19 नवंबर 2015 तक, 20 नवंबर 2015 से 26 जुलाई 2017 तक तथा 27 जुलाई 2017 से अब तक बिहार की कमान संभाल चुके हैं।
1 मार्च 1951 को स्वतंत्रता सेनानी कविराज रामलखन सिंह और परमेश्वरी देवी के घर जन्मे नीतीश की उम्र जैसे-जैसे बढ़ती गई उनका झुकाव राजनीति की ओर बढ़ते गया।
पटना के बख्तियारपुर में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने वाले नीतीश वर्ष 1974 में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से जुड़े और उसी वर्ष आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (मीसा) के तहत उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
वर्ष 1975 में आपातकाल के दौरान उन्होंने समता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की।
नीतीश ने बिहार अभियांत्रिकी महाविद्यालय से विद्युत अभियांत्रिकी में उपाधि हासिल की। 1985 में पहली बार बिहार विधानसभा की सीढ़ियों पर बतौर विधायक कदम रखा।
1987 में वे युवा लोकदल के अध्यक्ष बने तथा 1989 में उन्हें बिहार में जनता दल का सचिव चुना गया।
इस क्रम में वर्ष 1989 में ही नीतीश नौवीं लोकसभा के सदस्य भी चुने गए। अब तक नीतीश की देश में सफल नेता के रूप में पहचान बन गई थी। यही कारण है कि वर्ष 1990 में पहली बार उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल में बतौर कृषि राज्यमंत्री शामिल किया गया। वर्ष 1991 में वे एक बार फिर लोकसभा के लिए चुने गए और उन्हें जनता दल का राष्ट्रीय सचिव तथा संसद में जनता दल का उपनेता बनाया गया।
बिहार के बाढ़ संसदीय क्षेत्र का नीतीश ने वर्ष 1989 और वर्ष 2000 में प्रतिनिधित्व किया। वर्ष 1998-1999 में कुछ समय के लिए नीतीश को केन्द्रीय रेल एवं भूतल परिवहन मंत्री का दायित्व भी सौंपा गया, लेकिन अगस्त 1999 में हुए एक रेल दुर्घटना के बाद उन्होंने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया।
नीतीश ने तीन मार्च 2000 को बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली, लेकिन उन्हें सिर्फ सात दिन के अंदर ही त्याग पत्र देना पड़ा।
इसके बाद नीतीश की काबलियत को देखते हुए उन्हें एक बार फि र केन्द्रीय कृषि मंत्री का दायित्व सौंपा गया। मई 2001 से 2004 तक उन्होंने अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केन्द्रीय रेल मंत्री का भी दायित्व संभाला। रेल मंत्री के तौर पर नीतीश के लिए गए फैसलों को लोग आज भी याद करते हैं।
24 नवंबर, 2005 को नीतीश दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के 15 वर्ष के शासनकाल को अपनी साफ – सुथरी छवि से धाराशायी करना आसान नहीं था, लेकिन बिहार के मतदाताओं को नीतीश में दृढ़ इच्छाशक्ति और बेदाग छवि पसंद आई।
इसके बाद अपने विकास मॉडल के कारण नीतीश कुमार की पहचान विश्वस्तर पर बनी। बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार ने विकास को अपना एजेंडा बनाया। वर्ष 2010 में विशाल बहुमत से जीतकर बिहार की बागडोर संभालने वाले नीतीश ने 2014 में लोकसभा चुनाव में मिली पार्टी की करारी हार के बाद मुख्यमंत्री पद से इस्तीफो दे दिया, लेकिन 22 फरवरी 2015 के एकबार फि र मुख्यमंत्री बने।
इसके बाद नीतीश अपने काम के आधार पर विधानसभा चुनाव में उतरे और महागठबंधन में राजद के साथ चुनावी मैदान में उतरे और सफ लता प्राप्त की, लेकिन बीच में ही राजद से खटपट के बाद उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफो दे दिया। इसके बाद जदयू और भाजपा ने मिलकर सरकार बनाई और नीतीश ने फि र से 27 जुलाई 2017 को मुख्यमंत्री की शपथ ली। इसके बाद सोमवार को राजग के विजय होने के बाद सातवीं बार नीतीश फि र से मुख्यमंत्री बन गए।
राजग में शामिल घटक दल जनता दल (युनाइटेड), भाजपा, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और विाकसशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया और राजग को जीत मिली।