रामगढ़: जिले के प्रसिद्ध पतरातु रिसोर्ट में झारखंड पुलिस एसोसिएशन की कार्यकारिणी की बैठक रविवार को आयोजित हुई। वर्ष 2021 की पहली बैठक काफी अहम थी।
बैठक में एसोसिएशन के केंद्रीय अध्यक्ष योगेंद्र सिंह की मौजूदगी में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई।
सबसे पहले तो एसोसिएशन ने अपनी उपलब्धियां गिनाई।
इसके बाद तीन वर्ष से चली आ रही मांग सीमित परीक्षा समाप्ति के मुद्दे पर भी सदस्यों से चर्चा हुई।
केंद्रीय अध्यक्ष योगेंद्र सिन्हा ने बताया कि इस मुद्दे पर मुख्यमंत्री की सहमति भी मिल गई है।
जल्द ही इस पर कोई ठोस निर्णय लिया जाएगा। इसके अलावा झारखंड पुलिस को 13 माह का वेतन तो सरकार ने दिया है। लेकिन 21 दिनों का सीपीएल काट दिया गया है।
जबकि पड़ोसी राज्य बिहार में सीपीएल की छुट्टी भी पुलिस कर्मियों को मिल रही है।
इस मुद्दे पर पुलिस मुख्यालय की सहमति एसोसिएशन को मिली है। लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं हो पाया है।
इसके अलावा सबसे अहम मुद्दा पुलिसकर्मियों के तत्काल इलाज को लेकर उठाया गया था।
ड्यूटी के दौरान ऐसा कई बार होता है जब पुलिसकर्मी घायल होकर अस्पताल पहुंच जाते हैं।
या वह किसी गंभीर बीमारी के शिकार हो जाते हैं।
ऐसी अवस्था में अस्पताल में तत्काल उनका इलाज संभव नहीं हो पाता है। इस वजह से मेडिक्लेम की व्यवस्था हर पुलिसकर्मी को मिले।
इस पर सरकार के साथ वार्ता होगी। यह व्यवस्था होती है तो जैसे ही कोई पुलिसकर्मी अस्पताल पहुंचेगा तो वह सिर्फ एक कार्ड के सहारे सबसे पहले अपने जीवन की रक्षा कर सकेगा।
केंद्रीय अध्यक्ष योगेंद्र सिंह ने बताया कि पुलिस पदाधिकारियों पर सबसे अधिक जिम्मेदारी है।
यही वजह है कि आम जनता भी 24 घंटे, सातों दिन पुलिस को अपने समक्ष पाती है।
लेकिन पुलिस भी एक आम इंसान ही है। अगर कोई पुलिसकर्मी तनाव में काम करेगा तो वह किसी समस्या का हल नहीं निकाल पाएगा। पुलिसकर्मियों को रहने के लिए सिर्फ 3 फीट की चौकी मिलती है।
उसे 6 घंटे की चैन की नींद मयस्सर नहीं है। सरकार को और पुलिस मुख्यालय को इस मुद्दे पर विशेष तौर पर गौर करना चाहिए। अगर एक इंसान सही तरीके से सोएगा नहीं तो वह तनाव की स्थिति में कितना दिन तक काम कर पाएगा।
इसके अलावा केंद्रीय अध्यक्ष ने पुलिसकर्मियों को भी यह नसीहत दी कि वे जनता के साथ समन्वय स्थापित कर काम करें।
एक समय था जब पुलिसकर्मी अंग्रेज हुआ करते थे और जनता पर जुल्म करते थे। लेकिन अब जनता बहुत स्मार्ट हो गई है। अगर हम अपना रवैया नहीं बदलेंगे तो समाज में पुलिस के प्रति बनी धारणा बदलेगी नहीं।