सिडनी/नई दिल्ली : फेसबुक, जिसने पहले ऑस्ट्रेलियाई यूजर्स और प्रकाशकों के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर समाचारों तक पहुंच को अवरुद्ध करने की घोषणा की थी और फिर अपने निर्णय को वापस ले लिया था, उसने अब वास्तव में जो हुआ, उसके पीछे की वास्तविक कहानी बताई है।
सोशल नेटवकिर्ंग साइट ने कहा कि हाल के दिनों में इस तरह के दावे बार-बार किए जा रहे थे कि फेसबुक चोरी करता है या अपने फायदे के लिए मूल पत्रकारिता करता है, जो कि सरासर गलत है।
पिछले हफ्ते, फेसबुक ने घोषणा की थी कि वह ऑस्ट्रेलिया में अपनी सर्विस के दौरान समाचार साझा करना बंद कर रहा है।
फेसबुक में ग्लोबल अफेयर्स मामलों के उपाध्यक्ष निक क्लेग ने बुधवार की देर रात एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, यह अब ऑस्ट्रेलियाई सरकार के साथ चर्चा के बाद हल हो गया है – हम प्रकाशकों के साथ नए सौदों के लिए सहमत होने और एक बार फिर समाचार लिंक साझा करने के लिए ऑस्ट्रेलिया को सक्षम करने के लिए तत्पर हैं।
यह भी कहा गया है कि इस मुद्दे पर फेसबुक के विचार में फेसबुक और समाचार प्रकाशकों के बीच संबंधों में महज एक बुनियादी गलतफहमी है।
क्लेग ने तर्क देते हुए कहा, वह खुद प्रकाशक ही हैं, जो सोशल मीडिया पर अपनी स्टोरी को साझा करने का विकल्प चुनते हैं या उन्हें दूसरों द्वारा साझा करने के लिए उपलब्ध कराते हैं।
क्योंकि उन्हें ऐसा करने से वैल्यू मिलती है। यही कारण है कि उनकी साइटों पर बटन दिए गए हैं, जो पाठकों को उन्हें साझा करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
उन्होंने कहा, हम न तो उस कंटेंट (सामग्री) की मांग करते हैं, जिसके लिए हमें अत्यधिक कीमत चुकाने के लिए कहा जा रहा है। वास्तव में समाचार लिंक फेसबुक पर उपयोगकर्ताओं के अनुभव का एक छोटा सा हिस्सा है।
फेसबुक का यह प्रतिबंध नए मीडिया बार्गिनिंग कोड के जवाब में था।
बता दें कि ऑस्ट्रेलिया में गूगल और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म को समाचार के लिए भुगतान करने के लिए मजबूर करने वाला कानून के प्रभावी होने की तैयारी को लेकर यह बवाल हुआ।
हालांकि अब हालिया बयान से स्पष्ट हो गया है कि फेसबुक का ऑस्ट्रेलियाई अधिकारियों के साथ चर्चा के बाद मुद्दे का हल निकल गया है और अब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म देश में समाचार संबंधी कंटेंट साझा करेगा।