नोटबंदी के बाद भी नहीं रूका फेक करेंसी और टेरर फंडिग, 2000 नोट बैन के पीछे क्या है मायने, क्या फ्लॉप हो गया फैसला?

8 नवंबर 2016 को PM नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का एलान किया था। उस वक्त 500-1000 के नोट को चलन से बाहर कर दिया गया था। सरकार ने फैसले के पीछे भ्रष्टाचार खत्म करने को वजह बताया

News Desk
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नई दिल्ली: सात साल पहले सरकार ने 500 और 1000 नोट पर Ban किया था। उसकी जगह पर 500 के नये नोट और 2000 बाजार (Market) में उतारा गया था।

अब एक बार फिर सरकार ने RBI के द्वारा 2000 रुपए के नोट को बैन कर दिया। जिसके बाद विपक्ष (Opposition) लगातार हमलावर दिख रही है और इसे धोखा बता रही है।

RBI के इस फैसले के बाद विपक्ष और सोशल मीडिया यूजर्स (Social Media Users) नोटबंदी (Demonetisation) पर सवाल उठा रहे हैं। कहा जा रहा है कि सरकार का नोटबंदी पर फैसला फ्लॉप हो गया है। ऐसे में जानना जरूरी है कि आखिर इस फैसले के पीछे मायने क्या हैं?

नोटबंदी के बाद भी नहीं रूका फेक करेंसी और टेरर फंडिग, 2000 नोट बैन के पीछे क्या है मायने, क्या फ्लॉप हो गया फैसला?- Fake currency and terror funding did not stop even after demonetisation, what is the meaning behind 2000 note ban, did the decision flop?

साल 2015 में 43.83 करोड़ रुपए नकली मुद्रा किया गया था जब्त

केंद्र सरकार ने नोटबंदी (Demonetisation) के पीछे सबसे बड़ी वजह फेक करेंसी को बताया था। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में कहा कि 40 करोड़ वर्कफोर्स नकदी पर निर्भर हैं, जिस वजह से Fake Currency का खूब बोलबाला बढ़ गया था।

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नोटबंदी के बाद केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया था कि साल 2015 में 43.83 करोड़ रुपए नकली मुद्रा जब्त किया गया था।

सरकार के एक अन्य आंकड़े के मुताबिक 2012-2014 तक तीन साल में 136 करोड़ रुपए का फेक करेंसी जब्त किया गया। जो औसतन सालाना औसतन 45 करोड़ था।

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फेक करेंसी का सर्कुलेशन और अधिक बढ़ा

नोटबंदी के बाद फेक करेंसी पर Control की उम्मीद थी, लेकिन रिपोर्ट हैरानी करने वाला है। एनसीआरबी ने अपनी रिपोर्ट (Report) में बताया कि नोटबंदी के अगले साल यानी 2017 में 55.71 करोड़ रुपये के नकली नोट जब्त किए गए।

रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में 26.35 करोड़ रुपए, 2019 में 34.79 करोड़ रुपए, 2020 में 92.17 करोड़ रुपए Fake Currency के रूप में जब्त किए गए।

कुल फेक करेंसी जोड़ के देखा जाए तो Demonetisation के बाद औसतन हर साल 52 करोड़ से अधिक रुपए जब्त किए गए हैं।

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नोटबंदी के बाद भी नहीं रुका टेरर फंडिंग

केंद्र सरकार ने Supreme Court में कहा था कि नोटबंदी करने का एक कारण Terror Funding पर रोक लगाना भी था। हवाला के जरिए आतंकी कालेधन का उपयोग कर भारत (India) में घटनाओं को अंजाम दे रहे थे।

सरकार का कहना था कि टेरर फंडिंग रुकने के बाद आतंकी वारदातों (Terrorist Incidents) की संख्या में कमी आएगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं।

South Asia Terrorism Portal ने आतंकी घटनाओं के आंकड़ों को आधार बनाकर जम्मू-कश्मीर पर एक स्टडी रिपोर्ट तैयार की है।

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2014 में आतंकी वारदात की 222 घटनाएं

रिपोर्ट के मुताबिक कश्मीर में 2014 में आतंकी वारदात (Terrorist Incident) की 222 घटनाएं सामने आई, जिसमें 28 आम नागरिक मारे गए।

2015 में 208 घटनाएं हुई और 17 आम नागरिक मारे गए। साल 2016 में नोटबंदी हुआ था, उस साल 322 घटनाएं हुई और 15 आम नागरिक मारे गए।

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नोटबंदी के बाद कमी आने की बजाय आतंकी वारदात में बढ़ोतरी

नोटबंदी के एक साल बाद आतंकी वारदात में कमी आने की बजाय बढ़ोतरी हुई। 2017 में 342 आतंकी वारदात सामने आए, जिसमें 40 आम नागरिकों की मौत हो गई।

2018 में यह आंकड़ा और अधिक बढ़ गया। 2018 में 614 घटनाओं में 39 लोगों की मौत हो गई। नक्सली वारदातों (Maoist Incidents) में भी काफी ज्यादा कमी नहीं आई है।

नोटबंदी से पहले साल 2015 में 3 बड़े वारदात को अंजाम दिया था, जबकि 2016 में यह संख्या 6 पर पहुंच गई। Demonetisation के अगले साल यानी 2017 में नक्सलियों ने पूरे देश में 9 बड़ी घटनाओं को अंजाम दिया। 2018 में यह आंकड़ा 21 पर पहुंच गया।

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मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जब्ती भी बढ़ी

केंद्र सरकार ने भ्रष्टाचार (Corruption) रोकने के मकसद से नोट बदल दिए थे, लेकिन यह ज्यादा कारगर साबित नहीं हुआ। Enforcement Directorate की ओर से जारी डेटा के मुताबिक साल 2017-18 में मनी लॉन्ड्रिंग केस में 992 करोड़ रुपए जब्त किए गए थे।

यह आंकड़ा 2018-19 में बढ़कर 1567 करोड़ हो गया। 2019-20 में 1290 करोड़, 2020-21 में 880 करोड़ और 2020-21 में 1159 करोड़ रुपए जब्त किए गए। ED की कार्रवाई में जब्त पैसे की तस्वीर कई बार सोशल मीडिया में सुर्खियां बटोर चुका है।

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BJP सांसद सुशील मोदी ने भी 2000 रुपए के नोट पर उठाए थे सवाल

12 दिसंबर 2022 को संसद का शीतकालीन सत्र के जीरो ऑवर के दौरान BJP सांसद सुशील मोदी ने 2000 रुपए के नोट को वापस लेने की मांग की। सुशील मोदी ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में कहा था कि देश में लोगों ने बड़े पैमाने पर 2000 के नोटों को जमा कर रखा है।

इसका इस्तेमाल सिर्फ अवैध व्यापार (Illegal Business) के लिए किया जा रहा है। उन्होंने दावा करते हुए कहा कि ड्रग, मनी लॉन्ड्रिंग, क्राइम और टेरर फंडिंग जैसे बड़े अपराधों में 2000 रुपए के नोट का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। इसलिए सरकार इसे वापस लेने पर विचार करे।

मोदी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को किया था नोटबंदी

8 नवंबर 2016 को PM नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का एलान किया था। उस वक्त 500-1000 के नोट को चलन से बाहर कर दिया गया था। सरकार ने फैसले के पीछे भ्रष्टाचार खत्म करने को वजह बताया।

बाद में मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में भी हलफनामा दाखिल कर नोटबंदी का कारण बताया। नवंबर 2022 में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने बताया कि नोटबंदी को गलत निर्णय नहीं कहा जा सकता है।

केंद्र ने कहा कि PM ने RBI के सुझाव पर ही इसकी घोषणा की थी। नोटबंदी की तैयारी 6 महीने पहले से RBI कर रही थी।

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