Saryu Rai made serious allegations against the health departmentझारखंड में आयुष्मान भारत योजना से जुड़े एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश हुआ है। वरिष्ठ विधायक सरयू राय ने दावा किया है कि सरकारी डॉक्टरों ने निजी अस्पतालों में अवैध रूप से प्रैक्टिस की और उनके नाम पर हजारों फर्जी ऑपरेशन दिखाए गए। इन झूठे दावों के जरिए बीमा कंपनियों से करोड़ों रुपये की वसूली की गई।
सरकारी आदेशों की अनदेखी और विभागीय चुप्पी
सरयू राय ने दस्तावेजों के आधार पर बताया कि झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक डॉ. भुवनेश प्रताप सिंह ने 3 अगस्त 2022 को स्वास्थ्य सेवा निदेशक को पत्र लिखकर सरकारी डॉक्टरों की निजी प्रैक्टिस पर जांच की मांग की थी। पत्र में साफ उल्लेख था कि यह कार्य सरकारी नियमों के खिलाफ है। इसके बावजूद न जांच हुई, न ही जिम्मेदारों पर कोई कार्रवाई।
एक ही डॉक्टर के नाम पर हजारों ऑपरेशन का चौंकाने वाला दावा
राय ने खुलासा किया कि कुछ मामलों में एक-एक डॉक्टर के नाम पर चार हजार से भी अधिक ऑपरेशन दर्ज किए गए। यहां तक कि कई मृत मरीजों के नाम पर भी इलाज और सर्जरी दिखाई गई। महालेखाकार की रिपोर्ट ने इस घोटाले की पुष्टि करते हुए इसकी गंभीरता उजागर की है।
अस्पतालों में डॉक्टरों की मौजूदगी ने खोली पोल
विधायक ने बताया कि कई डॉक्टर अपने पदस्थ जिले से सैकड़ों किलोमीटर दूर के निजी अस्पतालों में काम करते हुए पाए गए। शिकारीपाड़ा में तैनात एक डॉक्टर गोड्डा के तीन अस्पतालों में कार्यरत मिला। बोकारो का एक डॉक्टर 12 निजी अस्पतालों में दिखाया गया। कोडरमा, रांची, पलामू और लोहरदगा के डॉक्टर भी अन्य जिलों में प्रैक्टिस करते हुए दर्ज किए गए।
स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता पर उठे सवाल
इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता को लेकर सरयू राय ने गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि जांच के स्पष्ट प्रमाण होने के बावजूद विभाग ने चुप्पी साध रखी है, जिससे यह संदेह और गहराता जा रहा है कि कहीं विभाग के कुछ अधिकारी भी इस घोटाले में शामिल तो नहीं हैं।
विधायक ने की न्यायिक जांच की मांग
सरयू राय ने इस घोटाले को स्वास्थ्य प्रणाली के साथ विश्वासघात बताते हुए उच्चस्तरीय न्यायिक जांच की मांग की है। उनका कहना है कि सरकारी डॉक्टरों की लापरवाही और निजी अस्पतालों की साझेदारी से इस घोटाले को अंजाम दिया गया और इसे दबाने की कोशिश की जा रही है।