नई दिल्ली: गृहमंत्री अमित शाह की पहल पर आंदोलित किसानों के 13 संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ मंगलवार देर शाम बैठक हुई।
देर शाम 8 बजे यह बैठक भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (आईसीएआर- पूसा संस्थान) के अतिथि गृह में शुरू हुई और रात करीब 11 बजे तक चली।
3 घंटे की बैठक के बाद सबसे पहले बाहर निकले हन्नान मोल्ला ने कहा कि सरकार कल सुबह एक लिखित प्रस्ताव भेजने वाली है।
उसके बाद ही किसान संगठन तय करेंगे कि अगले यानी छठे दौर की वार्ता में वे शामिल होंगे या नहीं।
उन्होंने साफ किया कि कल विज्ञान भवन में होने वाली पूर्व निर्धारित बैठक अब 10 दिसम्बर को हो सकती है। अभी सरकार की ओर से कुछ नहीं कहा गया है।
हन्नान मोल्ला के अलावा अन्य किसान नेता अभी भी गृहमंत्री बातचीत जारी रखे हुए हैं।
हन्नान मोल्ला ने तीखे तेवर में कहा कि सरकार वही बातें दोहरा रही है जो पांच दिन पहले से कह रही है। मोल्ला ने साफ तौर पर कहा कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का कोई इरादा नहीं रखती है।
वह एपीएमसी के बारे में कुछ प्रस्ताव कल भेजेगी। सरकार कृषि कानून में संशोधन को तैयार है पर वह तीनों कानून वापस पूरी तरह से वापस लेने को तैयार नहीं है।
हमारी मांग तीनों कानूनों को वापस लिए बिना आंदोलन खत्म नहीं करेंगे। फिर भी जो प्रस्ताव सरकार भेजेगी, उस पर हम सभी किसान संगठन चर्चा करेंगे और उसके बाद ही अगली रणनीति तय करेंगे।
इतना तो तय है कि बुधवार को पहले से प्रस्तावित बैठक नहीं होगी।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के विज्ञान भवन में 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ पांच दौर की बातचीत हो चुकी है। सरकार की ओर से इस बैठक में कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल के साथ अनेक प्रमुख सरकारी अधिकारी शामिल हो रहे थे।
इस बीच 8 दिसम्बर को भारत बंद भी बुलाया गया। किसान संगठनों द्वारा भारत बंद के आह्वान को 23 राजनीतिक दलों का भी समर्थन मिला। भारत बंद का देश भर में मिलाजुला असर दिखा।
इसके तुरंत बाद गृहमंत्री अमित शाह ने पहल कर किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया।
गृहमंत्री का न्यौता मिलने के बाद 13 किसान नेता उनसे मिलने पहुंचे। इनमें सबसे प्रमुख किसान यूनियन के राकेश टिकैत थे।