नई दिल्ली: केंद्र के कृषि सुधार कानूनों के विरोध में पिछले सात दिनों से दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों की संचालन कमेटी के सदस्य गुरुवार को केंद्र सरकार से बातचीत के लिए बस से रवाना हुए।
केंद्र सरकार और किसान नेताओं के बीच यह चौथी बैठक होगी। इसके पहले की तीन बैठकें बेनतीजा रही थीं।
राजधानी दिल्ली के सिंघु समेत अन्य बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान अपनी बात पर अड़े हुए हैं।
बैठक में जाने से पहले किसान नेताओं ने साफ कर दिया कि अगर किसानों की बातें नहीं मानी गयीं तो वे सिंघु बॉर्डर पर ही डटे रहेंगे। इस स्थिति में उनका प्रदर्शन पांच तारीख से और उग्र रूप लेगा।
दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे अधिकतर किसान पंजाब से हैं। किसान केंद्र सरकार के तीन कृषि सुधार कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं।
किसानों का कहना है कि नए कानून से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) समाप्त हो जाएगा, लेकिन सरकार का कहना है कि यह व्यवस्था जारी रहेगी और यह कानून किसानों को अपनी फसल बेचने के अधिक विकल्प देगा।
इस मुद्दे पर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। किसी का भी नतीजा नहीं निकला है।
ऐसे में आज होने वाली चौथे दौरे की बैठक पर सभी नजरें टिकी हुई हैं। मंगलवार को बातचीत के दौरान केंद्र सरकार की ओर से संयुक्त समिति के गठन के प्रस्ताव को किसानों ने खारिज कर दिया था।
केंद्र सरकार ने किसानों के 35 संगठनों को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। इसी के तहत आज यह बैठक होगी।