नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने नये कृषि कानून समेत किसानों की अन्य समस्याओं के समाधान के लिए किसान संगठनों को अगले दौर की वार्ता के लिए 30 दिसंबर को दोपहर दो बजे आमंत्रित किया है।
इससे पहले किसान संगठनों ने सरकार के पास 29 दिसंबर को पूर्वाह्न् 11 बजे वार्ता का प्रस्ताव भेजा था।
सरकार की ओर से यह आमंत्रण-पत्र सोमवार को किसान संगठनों को मिलने से पहले से ही उनकी सिंघु बॉर्डर पर बैठक चल रही है और बैठक में इस पर विचार-विमर्श करेंगे।
हालांकि बैठक में शामिल होने से पूर्व डॉ. दर्शनपाल ने आईएएनएस के एक सवाल पर कहा कि अगले दौर की वार्ता के दौरान किसान संगठनों की ओर से प्रस्तावित सभी चार मुद्दों पर बातचीत होगी, लेकिन मुख्य फोकस तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग पर रहेगा।
सरकार की ओर से किसान संगठनों को अगले दौर की वार्ता के लिए यह आमंत्रण पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय में सचिव संजय अग्रवाल ने भेजा है।
पत्र में कृषि सचिव ने संयुक्त मोर्चा द्वारा दिनांक 26.12.2020 को प्रेषित ई-मेल के संदर्भ में किसान नेताओं से कहा, आपने भारत सरकार का बैठक हेतु अनुरोध स्वीकार करते हुए किसान संगठनों के प्रतिनिधियों एवं भारत सरकार के साथ अगली बैठक हेतु समय संसूचित किया है।
आपके द्वारा अवगत कराया गया है कि किसान संगठन खुले मन से वार्ता करने के लिए हमेशा तैयार रहे हैं और रहेंगे।
भारत सरकार भी साफ नीयत और खुले मन से प्रासंगिक मुद्दों के तर्कपूर्ण समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
कृषि सचिव ने आगे कहा कि इस बैठक मे आपके द्वारा प्रेषित विवरण के परिप्रेक्ष्य में तीनों कृषि कानूनों एवं एमएसपी की खरीद व्यवस्था के साथ राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन के लिए आयोग अध्यादेश, 2020 एवं विद्युत संशोधन विधेयक 2020 में किसान से संबंतिधत मुददों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।
पत्र में किसान संगठनों को 30 दिसंबर को दोपहर दो बजे विज्ञान भवन में वार्ता के लिए आमंत्रित किया गया है।
संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले करीब 40 किसान संगठनों के नेताओं की अगुवाई में दिल्ली की सीमा स्थित सिंघु बॉर्डर, टिकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों के आंदोलन का सोमवार को 33वां दिन है और सिंघु बॉर्डर शाम में होने वाली बैठक में शामिल होने से पहले क्रांतिकारी किसान यूनियन पंजाब के डॉ. दर्शनपाल ने आईएएनएस से कहा कि सरकार अगले दौर की प्रस्तावित वार्ता में अगर सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने को तैयार नहीं होगी तो उनका यह संघर्ष जारी रहेगा।
आंदोलनकारी किसान संगठनों के नेता कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।
संसद के मानसून सत्र में पेश तीन अहम विधेयकों के दोनों सदनों में पारित होने के बाद इन्हें सितंबर में लागू किया गया।
हालांकि इससे पहले अध्यादेश के आध्यम से ये कानून पांच जून से ही लागू हो गए थे।