Farmers Protest : मोदी सरकार (Modi Government) की वादाखिलाफी को लेकर किसानों का आक्रोश कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बार-बार वार्ता की सफलता इसी ओर संकेत कर रही है।
किसानों का कहना है कि बैठक में मांगों का हल हो गया तो ठीक है, वरना मोर्चा फतेह करके ही घरों को लौटेंगे। उधर, Border पर लगातार किसानों की गिनती बढ़ रही है।
बॉर्डर से पहले करीब पांच किलोमीटर तक सड़क हजारों ट्रैक्टर-ट्रालियों से पट गई है। इनकी संख्या सात हजार के करीब बताई जा रही है। मोर्चे में केवल Punjab के ही नहीं, बल्कि राजस्थान और हरियाणा के भी किसान जुटने लगे हैं।
पूरा दिन बॉर्डर के नजदीक पंजाब पुलिस का कोई भी मुलाजिम तैनात नहीं दिखा। किसान नेताओं के वॉलंटियर ही मोर्चा संभालते दिखे। ये वॉलंटियर नौजवानों से लगातार अपील करते दिखे कि वह बॉर्डर की तरफ न जाएं। वहीं, बॉर्डर से करीब एक किलोमीटर पहले लगाई रस्सी पर भी ड्यूटी देते रहे।
बेटों की तरफ पाली अपनी फसलों को रब आसरे छोड़कर किसान बड़ी गिनती में शंभू बॉर्डर पहुंच रहे हैं। जिस घर में एक ही पुरुष फसलों को संभालने के लिए हैं, वहां से भी हाजिरी मोर्चे में दर्ज कराई जा रही है। होशियारपुर (Hoshiarpur) से पहुंचे परमजीत सिंह ने बताया कि उनके पीछे फसलों को देखने वाला कोई नहीं है। पत्नी भी उनके साथ ही यहां है।
कहा कि मौसम की मार भी तो झेलते हैं, इस बार सोच लेंगे कि खेतीबाड़ी को बचाने के लिए फसलें कुर्बान कर दीं, लेकिन अपना हक लेकर ही लौंटेगे।
Haryana की तरफ से दागी जा रहीं रबड़ की गोलियों व आंसू गैस (Tear Gas) के गोलों के मुकाबले महिलाएं झंडे व डंडे के दम पर मोर्चा फतेह करने का जज्बा रखती हैं। इनमें कईं 60 से 80 साल तक की बुजुर्ग महिलाएं भी शामिल हैं, लेकिन उम्रदराज होने के बावजूद इनमें हौसले की कोई कमी नहीं है।
महिलाओं का कहना है कि जब उनके बच्चे, भाई व पति अपने हकों के लिए बॉर्डर पर निहत्थे लड़ रहे हैं तो फिर वह घर कैसे बैठ सकती थीं। इसलिए वह Border पर इकट्ठा हो रही हैं और जरूरत पड़ी तो वह खुद आगे होकर मुकाबला करेंगी।