नई दिल्ली: देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं डटे आंदोलनकारी किसान गुरुवार को कुन्डली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेसवे पर 11 बजे ट्रैक्टर मार्च निकालने जा रहे हैं।
ट्रैक्टर मार्च केएमपी पर चार एंट्री प्वाइंट से निकलेगा। हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह ने कहा कि आज का ट्रैक्टर मार्च गणतंत्र दिवस का ट्रैलर परेड का ट्रैलर होगा।
संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा तय कार्यक्रम के अनुसार, गुरुवार को सुबह 11 बजे ट्रैक्टरों के साथ चार जत्थे एक साथ रवाना होंगे।
पहला जत्था सिंधु बॉर्डर से टिकरी बॉर्डर की तरफ निकलेगा, जिसका केएमपी पर एंट्री प्वाइंट कुंडली में होगा।
दूसरा जत्था टिकरी बॉर्डर से कुंडली की तरफ निकलेगा, जिसका केएमपी पर एंट्री प्वाइंट सांपला में होगा।
यह दोनो जत्थे सांपला और कुंडली के मिड-प्वाइंट को छूकर वापिस अपने आरंभिक स्थान पर लौट जाएंगे।
इसी प्रकार, तीसरा जत्था गाजीपुर से पलवल की तरफ बढ़ेगा केएमपी पर इसका एंट्री प्वाइंट डासना में होगा। वहीं, चौथा जत्था रेवासन से पलवल की तरफ बढ़ेगा और केएमपी पर इसका एंट्री प्वाइंट रेवासन होगा।
यह दोनों जत्थे पलवल से वापस अपने प्रस्थान बिंदु पर लौट जाएंगे।
संयुक्त किसान मोर्चा ने ट्रैक्टर मार्च का एलान पहले ही किया था जिसमें सरकार के साथ चार जनवरी की वार्ता विफल होने की सूरत में छह जनवरी को मार्च निकालने का एलान किया गया था।
मगर, मौसम खराब होने के पूवार्नुमान हो देखते हुए इसे एक दिन बढ़ाकर सात जनवरी कर दिया।
हालांकि दिल्ली-एनसीआर में मौसम आज भी खराब है, लेकिन भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा में प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने बताया कि आज ट्रैक्टर मार्च निकलेगा और इसकी पूरी तैयारी पहले ही कर ली गई है।
आंदोलन तेज करने के मकसद से सयुंक्त किसान मोर्चा के बैनर तले प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे किसान संगठनों के नेता बुधवार को दिनभर ट्रैक्टर मार्च की तैयारी में जुटे रहे।
केंद्र सरकार द्वारा लागू कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) कानून 2020, कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) कानून 2020 को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की कानूनी गारंटी देने की मांग को लेकर किसान 26 नवंबर 2020 से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं।
इस मसले के समाधान के किसान सरकार के साथ सातवें दौर की वार्ता सोमवार को बेनतीजा रहने के बाद अब अगले दौर की वार्ता आठ जनवरी को तय की गई है।
पंजाब के किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (लाखोवाल) के महासचिव हरिंदर सिंह ने कहा कि सरकार के साथ शुक्रवार को होने वाली वार्ता भी अगर विफल रहती है तो आंदोलन तेज करने को लेकर आगे की रणनीति तय की जाएगी।