नई दिल्ली: भारतीय नौसेना के फास्ट अटैक क्राफ्ट टी-81 को 20 साल की सेवा के बाद रिटायर कर दिया गया। सुपर डवोरा एमके II वर्ग के इस जहाज को मुंबई के नेवल डॉकयार्ड में विदाई दी गई।
इस अवसर पर महाराष्ट्र नौसेना क्षेत्र के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग रियर एडमिरल वी. श्रीनिवास मुख्य अतिथि थे।
नौसेना प्रवक्ता ने बताया कि 60 टन वजनी 25.4 मीटर लंबा और पांच मीटर की बीम वाला यह पोत गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में इजरायल की कंपनी मेसर्स रामता के सहयोग से बनाया गया था।
गोवा के तत्कालीन गवर्नर लेफ्टिनेंट जनरल जेएफआर जैकब (सेवानिवृत्त) ने इसे 05 जून, 1999 को नौसेना में कमीशन किया था।
इस जहाज को विशेष रूप से उथले पानी के लिए डिज़ाइन किया गया था।
प्रतिघंटे 45 समुद्री मील तक की गति से यह जहाज दिन-रात की निगरानी करने में सक्षम था।
इसके अलावा टोही, समन्वित खोज और बचाव कार्यों, समुद्री कमांडो की निकासी और घुसपैठ करने वाले जाहाजों को उच्च गति के साथ अवरोधन करने की क्षमता थी।
जहाज को दो अधिकारियों और 18 नाविकों के चालक दल द्वारा संचालित किया जाता है और इसमें शॉर्ट रेंज गन भी लगाई गई थी।अपनी 20 साल की सेवा के दौरान यह जहाज कम से कम समय में समुद्र में जाने सहित विभिन्न प्रकार की भूमिकाएं करने में सक्षम रहा है।
जहाज के शिखर पर ब्लू और ब्लैक ‘सी हॉर्स’ का चित्रण और ब्लू बैकग्राउंड में घुमावदार पूंछ इस जहाज की पहचान रही है।
इसकी भारतीय पौराणिक कथाओं से प्रासंगिकता है, जहां इसकी पहचान भगवान वरुण के ‘वाहन’ के रूप में की जाती है।
इस जहाज ने गर्व के साथ आदर्श वाक्य ‘फर्स्ट फास्ट फियरलेस’ पर कार्य करके अपनी 20 साल की सेवा पूरी की है।