Viral Reel of Female Constable: हमारे देश की रक्षा करने वाले अधिकारियों से लोग गरिमा का मान रखने की उम्मीद करते हैं। ऐसे में लोगों को महिला सिपाही का रिवाल्वर के साथ रील (Female Constable With Revolver Reel) बनाना रास नहीं आया।
बता दें कि मामला उत्तर प्रदेश के आगरा का है। जहां रील बनाकर ट्रोल होने वाली महिला सिपाही प्रियंका मिश्रा की नौकरी जॉइन करने के बाद दो दिन में ही चली गई। तथ्य छिपाकर उनकी मदद करने वाले क्लर्क को निलंबित कर दिया गया है।
गई प्रियंका मिश्रा की नौकरी
प्रियंका मिश्रा ने रील से Troll होकर नौकरी से त्यागपत्र दे दिया था। थोड़ा समय बीतने पर उन्हें अहसास हुआ कि उन्होंने काफी बड़ी गलती की है।
इसके बाद बाद वह दोबारा नौकरी पाने की जुगत में लग गईं। इसके लिए उन्होंने ऑफिस क्लर्क जितेंद्र (Office Clerk Jitendra) से बात की। जितेंद्र इसके लिए तैयार हो गया।
कौन है प्रियंका मिश्रा?
मूलत: कानपुर निवासी प्रियंका मिश्रा वर्ष 2020 में पुलिस विभाग (Police Department) में सिपाही बनी थीं। उन्हें झांसी में प्रशिक्षण के बाद वर्ष 2021 में आगरा भेजा गया। थाना एमएम गेट में महिला हेल्प डेस्क पर तैनात थीं। उन्होंने इंस्टाग्राम पर रिवाल्वर हाथ में लेकर रील बनाई थी। उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोल किया गया था।
ड्यूटी पर रहते हुए रील बनाने पर कई लोगों ने सवाल उठाए थे। मामला तत्कालीन एसएसपी मुनिराज जी (SSP Muniraj ji)। तक पहुंचा था। सिपाही को लाइन हाजिर किया। सिपाही ने आहत होकर खुद ही त्यागपत्र दे दिया। उनसे प्रशिक्षण में खर्च धनराशि भी जमा करा ली गई थी।
नौकरी वापस पाने की कोशिश में प्रियंका
प्रियंका मिश्रा की नौकरी में वापसी कराने के लिए जितेंद्र (Jitendra) ने कहानी रचनी शुरू कर दी। उसने तथ्यों को छिपाकर पुनः वापसी का आदेश पारित करा लिया। प्रियंका को नौकरी मिल गई।
नौकरी में वापसी को दो दिन ही हुए थे कि मामला खुल गया। बात पुलिस आयुक्त तक पहुंची। उन्होंने प्रियंका की नौकरी निरस्त करने के आदेश देने के साथ क्लर्क को निलंबित कर दिया है।
पुलिस आयुक्त डाॅ. प्रीतिंदर सिंह (Dr. Preetinder Singh) ने बताया कि प्रियंका मिश्रा ने प्रार्थनापत्र दिया था। इसमें आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने, जीवन यापन में कठिनाई का हवाला देते हुए सेवा में पुन: वापसी का आग्रह किया।
सहायक पुलिस आयुक्त कार्यालय को जांच दी गई। प्रकरण में संयुक्त निदेशक, अभियोजन से विधिक राय ली। उन्होंने नियुक्ति प्राधिकारी की ओर से निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए स्वविवेक के अनुसार निर्णय लिए जाने के लिए राय दी।
18 अक्तूबर को आदेश पारित
मामले में त्यागपत्र (Resignation Letter) के पश्चात सेवा में लेने से संबंधित नियमावली और आदेशों के लिए समस्त पत्रावली को पुलिस मुख्यालय भेजा जाना चाहिए था। इसके बाद ही अग्रिम आदेश पारित कराया जाना चाहिए था।
मगर, लिपिक ने ऐसा नहीं किया। तथ्यों को संज्ञान में लाए बिना ही महिला सिपाही को पुन: सेवा के लिए 18 अक्तूबर को आदेश पारित करा लिया। यह नियम के खिलाफ किया।
लिपिक (Clerk) को निलंबित किया गया है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को जांच दी गई है। महिला आरक्षी को पुन: सेवा लेने का आदेश भी निरस्त कर दिया गया।