Minority Status of AMU: अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (Aligarh Muslim University) के अल्पसंख्यक दर्जे के मुद्दे पर फैसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) के सदस्य मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने प्रतिक्रिया देते कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं जिसमें उसने 1967 के अपने फैसले को खारिज कर दिया है जिसमें यह तय किया गया था कि AMU अल्पसंख्यक संस्थान नहीं होगा। मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला AMU के अल्पसंख्यक दर्जे को तय करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।
अनुच्छेद 30A का क्या होगा?
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि सभी ऐतिहासिक तथ्य हमारे सामने हैं और हम उन्हें तीन जजों की बेंच के सामने पेश करेंगे। सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक संस्थान नहीं माना जाता है तो कौन सा संस्थान अल्पसंख्यक संस्थान माना जाएगा और अनुच्छेद 30A का क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट की सात न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के अल्पसंख्यक दर्जे के मामले में शुक्रवार को चार अलग-अलग फैसले दिए। संविधान पीठ की अगुवाई कर रहे चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इस संबंध में चार अलग-अलग मत थे जिनमें तीन असहमति वाले फैसले भी शामिल हैं।
CJI ने कहा कि उन्होंने अपने और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के लिए बहुमत का फैसला लिखा है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा ने अलग-अलग असहमति वाले फैसले लिखे हैं।